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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 1 Sep 2021 9:14 pm IST

राजनीति

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की योजना मुक्ति परंपरा विरोधी... प्रदीप झा



हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की और से अस्थि विसर्जन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था मुक्ति योजना के विरोध में श्री गंगा सभा के पदाधिकारी उतर आए हैं।  महामंत्री तन्मय वशिष्ठ के घोर विरोध के बाद अब अध्यक्ष प्रदीप जाने भी इस योजना को भारतीय परंपरा के साथ खिलवाड़ बताया है । 
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी ने विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के अस्थि विसर्जन के लिए मुक्ति योजना शुरू करने संबंधी प्रस्ताव पास किया है। इस योजना के तहत अब 100 डॉलर के भुगतान पर ऑनलाइन अस्थि विसर्जन कराने का दावा किया गया है जिसका श्री गंगा सभा के पदाधिकारी विरोध कर रहे हैं।
 बुधवार को 
हरिद्वार प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए श्री गँगा सभा अध्यक्ष  प्रदीप झा ने कहा कि हजारों वर्षों से हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों और यजमानों का सम्बंध चला आ रहा है। यजमान अपने परिजनों के अस्थि प्रवाह के लिए तीर्थ पुरोहितों से सीधा संपर्क करते हैं। इसमें किसी माध्यम की आवश्यकता नही है। यह कार्य आस्था और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है इसके लिए पुरोहितों ने कोई शुल्क निर्धारित नही किया हुआ है। संस्कृत अकादमी अपने मूल उद्देश्यों से भटक गई है। उन्होंने किसी योजना को शुरू करने से पहले ही धन कमाई करना शुरू कर दिया है। अपने उद्देश्यों से भटककर उत्तराखंड संस्कृत अकादमी  डॉलर कमाने के सपने देख रही है।
कहा कि अस्थिप्रवाह जैसे धार्मिक कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप करना ठीक नही है। प्रदीप झा ने मांग की है कि सरकार इस मामले में संज्ञान ले और इस योजना को तत्काल बंद किया कराए। उन्होंने कहा कि अस्थि विसर्जन तीर्थ पुरोहितों का परम्परागत अधिकार है इसमें किसी अन्य का हस्तक्षेप सहन नही किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस योजना को तत्काल  बंद नहीं किया गया तो वह संस्कृत अकादमी के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करेंगे। इस अवसर पर गंगा सभा के पदाधिकारी जीतेंद्र विद्याकुल और अन्य भी शामिल थे।