उत्तराखंड सरकार का कहना है कि मीडिया को जोशीमठ की रिपोर्टिंग में सावधानी बरतनी चाहिए। वहीं पर्यावरण विशेषज्ञ जोशीमठ को लेकर जो बातें कह रहे हैं वो बड़े खतरे का संकेत करती हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा शहर की दुर्दशा की वजह एनटीपीसी के इंजीनियरों को मानते हैं। उनका कहना है कि यहां प्रकृति को जितना बड़ा नुकसान पहुंचाया गया है उसकी मरम्मत की अब गुंजाइश नहीं बची है। जोशीमठ आपदा भूगर्भीय जलीय चट्टानी पर्त में दरार का नतीजा है। सनद रहे केंद्रीय टीमों ने भी इसकी आशंका जताते हुए भूमिगत जल जमाव वाले सटीक स्थान का पता लगाए जाने का सुझाव दिया था।
एनटीपीसी के इंजीनियरों की गलती के कारण आई आपदा
माना जा रहा है कि जिस जगह पर भूगर्भीय जलस्रोत मौजूद है वह इलाका जोशीमठ में ही है। केंद्रीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस जगह की सटीकता का पता करने के लिए भूगर्भीय सर्वेक्षण कराए जाने की सिफारिश की थी। पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा- जोशीमठ आपदा एनटीपीसी के इंजीनियरों की गलती के कारण आई है। जोशीमठ के नीचे टनलिंग के दौरान टनल-बोरिंग मशीनों से भूगर्भीय जलीय चट्टानी पर्त में छेद हो गया। जोशीमठ आपदा इसी का नतीजा है।