उत्तराखंड में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है, जहां एक ओर स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों और नर्सों की कमी से जूझ रहा है तो वहीं चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में कर्मचारियों और अधिकारियों की भी भारी कमी है. जिसके चलते जनता को पर्याप्त स्वास्थ्य उठाएं उपलब्ध नहीं हो पाती है. यही नहीं पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति काफी दयनीय है. इन सबके बीच राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए हर साल बजट को बढ़ाने का प्रावधान करती रही है. बावजूद इसके धनराशि खर्च करने में स्वास्थ्य विभाग हमेशा ही फिसड्डी साबित हुई है.यू तो स्वास्थ्य सुविधाएं इंसान की मूलभूत सुविधाओं में शुमार है, लेकिन स्थिति यह है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अभी भी प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में तमाम लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं. यही नहीं समय-समय पर ऐसी घटनाएं भी सामने आती हैं. जब प्रसव पीड़ा के दौरान महिला को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती है, जिससे जच्चा-बच्चा के जीवन पर आफत बन पड़ती है.