देश के ऐसे कई राज्य हैं। जहां बच्चों की लंबाई अपनी उम्र के हिसाब नहीं बढ़ पा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेजों में दर्ज आंकड़े इस बात को बयां कर रहे हैं कि, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में न सिर्फ बौनापन है बल्कि उनके अंदर और भी तमाम तरीके की दिक्कतें देखी जा रही हैं।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल से लेकर हिमाचल प्रदेश और गोवा से लेकर आंध्र प्रदेश समेत कई राज्य ऐसे हैं, जो तमाम कोशिशों के बाद भी अपने राज्य में होने वाले बच्चों के बौनेपन को दूर नहीं कर पा रहे हैं। 2015-16 में जारी हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे चार और 2019-21 में जारी हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में कुल मिला कर देश में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या तो कम हुई है, लेकिन देश के कई राज्य अभी भी इस मामले में बहुत पिछड़े हुए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक देश में पांच साल से कम उम्र के 43.8 फीसदी बच्चे बौनेपन का शिकार थे। जबकि उसके 5 साल बाद जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रतिशत 40.9 के करीब पहुंच गया। यानी कि देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या कम तो हुई, लेकिन देश के कई राज्य राष्ट्रीय औसत आंकड़े से अलग चलते रहे।
आंकड़ों कहते हैं कि, 2014-15 की नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में केरल में 5 साल से कम उम्र के 23.9 फीसदी बच्चे ही बौनेपन के शिकार थे। जबकि 2019-21 की नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे पांच की रिपोर्ट में यह आंकड़ा तकरीबन 13 फीसदी से बढ़कर 36.9 फीसदी पर पहुंच गया है। यानी कि केरल में पांच साल के भीतर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या बढ़ी है।