ज्यादातर बोर्ड्स के 12वीं के नतीजे जारी हो चुके हैं। ऐसे में पास हो चुके स्टूडेंट्स सीयूईटी परीक्षा और कॉलेज में एडमिशन की तैयारी में जुट गए हैं। अब हर स्ट्रीम में भरपूर ऑप्शंस मौजूद हैं। ऐसे में कई बार स्टूडेंट्स कंफ्यूज हो जाते हैं कि क्या करें, क्या न करें। ऐसे में हम आपको बता दें कि 12वीं के बाद बीए की डिग्री लेकर भी आप अपने करियर को नई दिशा दे सकते हैं और एक अच्छी जॉब हैसिल कर सकते हैं। 12वीं के बाद स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन के लिए वहीं कोर्स चुनना चाहिए, जिसमें आप भविष्य में करियर बनाना चाहते हैं। किसी के दबाव में आकर कोर्स का चयन नहीं करना चाहिए। अगर आपकी ह्यूमैनिटीज विषयों में रुचि है तो बैचलर ऑफ आर्ट्स के विभिन्न विषयों में ग्रेजुएशन कर सकते हैं। इस स्ट्रीम के कुछ कोर्स ऐसे हैं जिन्हें करके भी आप अपना करियर बना सकते हैं।
बीए और बीए ऑनर्स में अंतर
आर्ट्स में ग्रेजुएशन करने के लिए दो विकल्प हैं- बीए और बीए ऑनर्स। छात्र अपनी रुचि के हिसाब से दोनों में से किसी भी कोर्स में ग्रेजुएशन कर सकते हैं। बीए तीन साल का होता है और इसमें कई विषयों की पढ़ाई करनी होती है। वहीं बीए ऑनर्स में किसी खास विषय में स्पेशलाइजेशन कराया जाता है।
इन विषयों में कर लें स्पेशलाइजेशन
अगर आप बीए करना चाहते हैं तो उन विषयों पर फोकस करें, जिनमें डिग्री मिलते ही नौकरी मिलने की असर बढ़ जाते हैं। आप चाहें तो नीचे लिखे विषयों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।
बीए इंग्लिश
अंग्रेजी विषय आपके करियर के लिए नए रास्ते खोल सकता है। बीए इंग्लिश में वर्ल्ड लिटरेचर, ब्रिटिश लिटरेचर, पोस्टकोलोनियल लिटरेचर, नाइंटींथ सेंचुरी यूरोपियन रियलिज्म, इंग्लिश पोएट्री, इंग्लिश ड्रामा: एलिजाबेथ टू विक्टोरियन, यूरोपियन क्लासिक लिटरेचर, पोस्ट वर्ल्ड वॉर II जैसे टॉपिक्स कवर किए जाते हैं।
बीए साइकोलॉजी
साइकोलॉजी में बीए करने के बाद काउंसलर बनने के रास्ते आसान हो जाते हैं। इस विषय में आप एमए भी कर सकते हैं। इस कोर्स में डेवलपमेंट साइकोलॉजी, सोशल साइकोलॉजी, गाइडेंस एंड काउंसलिंग, एनवायरमेंटल साइकोलॉजी, एजुकेशनल साइकोलॉजी, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी जैसे विषयों की पढ़ाई कर सकते हैं।
बीए इकोनॉमिक्स
इकोनॉमिक्स वैसे तो काफी वृहद विषय है और इसमें जॉब ऑप्शंस की भी कोई कमी नहीं है। बीए इकोनॉमिक्स कोर्स में इंट्रोडक्ट्री माइक्रोइकोनॉमिक्स, मैथेमेटिकल मेथड्स फॉर इकोनॉमिक्स, इंट्रोडक्ट्री मैक्रोइकोनॉमिक्स, डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स जैसे विषयों में स्पेशनलाइजेशन किया जा सकता है।