कई दशकों से मेडिकल एसोसिएशंस, फूड कंट्रोल अथॉरिटीज हमें सही बताती रही हैं कि फैट सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। फैट से हार्ट अटैक और लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा होता है। लेकिन अब अब मेडिकल साइंस ये मानने लगा है कि सेहत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक चीनी है। अमेरिकन डॉक्टर और कीटो फूड पर पिछले 30 सालों से शोध कर रहे और उसके प्रसार के लिए काम कर रहे डॉ. एरिक बर्ग कहते हैं कि चीनी निकोटिन और कैफीन की तरह ही एडिक्टिव है। यह सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। अमेरिका में टाइप टू डाबिटीज को बिना दवाइयों और किसी मेडिसिनल हेल्प के रिवर्स करने वाले अमेरिका के पहले क्लिनिक की डायरेक्टर डॉ. सारा हॉलबर्ग इस बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखती हैं। डॉ. सारा कहती हैं कि इतने सालों से हमें ये कहा जाता रहा कि फैट शरीर के लिए खतरनाक होता है। तेल कम खाना चाहिए। प्राकृतिक फैट को लेकर भी डॉक्टरों की राय बहुत अच्छी नहीं थी। एक ऐसा विचार है, जो अनेकों सालों तक हमें इसी तरह बताया जाता रहा और आज देखिए कि क्या हो रहा है। आज अमेरिका की 70 फीसदी आबादी ओबिसिटी की शिकार है और 33 फीसदी आबादी डायबिटीज की पेशेंट है।
इसके पीछे वजह कोई और नहीं, बल्कि वो गलत जानकारी है और हमारी गलत लाइफ स्टाइल है, जो बरसों तक सही और वैज्ञानिक बताकर हम पर थोपी जाती रही।
डॉ. एरिक बर्ग कहते हैं कि सिर्फ दो ही तरह के तत्व हैं, जो शरीर के लिए अनिवार्य हैं- प्रोटीन और फैट. इसके अलावा जरूरी विटामिन, मिनरल और पोषक तत्व. लेकिन कोई ऐसा कार्बोहाइर्ड्रेट नहीं है जो हमारे शरीर और सेहत के लिए अनिवार्य हो। अगर कोई इंसान जीवन में कभी कार्बोहाइर्ड्रेट का सेवन न करे तो उसके शरीर में किसी भी जरूरी तत्व की कोई कमी नहीं होगी। हमें इस बात को थोड़ा और गहरे उतरकर समझने की जरूरत है कि जिस फैट को हम अपने लिए बुरा समझते हैं, वो दरअसल न सिर्फ लाभकारी, बल्कि बहुत जरूरी भी है और जिस शुगर को हमने अपने जीवन का हिस्सा बना रखा है, वो दरअसल खतरनाक है। आज से ही कार्बोहाइर्ड्रेट और शुगर, दोनों चीजों को जीवन से अलविदा कह दीजिए।