हरिद्वार : राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति होती है। संस्कृति जब तक जीवित व सुरक्षित है, तभी तक राष्ट्र भी सुरक्षित रहता है। विश्व की संपूर्ण शिक्षा संस्कृत में निहित है।उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने कहा कि विश्व की सारी संस्कृतियों में सबसे प्राचीन एवं श्रेष्ठ हमारी भारतीय संस्कृति या वैदिक संस्कृति है। इस संस्कृति का आधार संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा के बिना भारतीय संस्कृति और भारतीय संस्कृति के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।राज्यपाल ने मेडल और उपाधि पाने वाले छात्रों से कहा कि वह भारत की धरोहर को आगे तक लेकर जाएंगे, तभी उनको मिले मेडल और उपाधि की सार्थकता सिद्ध होगी। कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति की भूमिका बहुत अधिक है। भारत की युवा शक्ति के कंधे पर ही संस्कृत, संस्कृति को आगे ले जाने का महत्वपूर्ण जिम्मा है।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि यदि संस्कृति भारत देश की आत्मा है तो संस्कृत भाषा संस्कृति की आत्मा है। कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से ज्योतिष, योग, वेद, कर्मकांड आदि क्षेत्रों में अत्यंत न्यून सेवा राशि पर परामर्श सेवा प्रदान की जा रही है। आमजन को इस सुविधा का लाभ लेना चाहिए।इस मौके पर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओमप्रकाश नेगी, उत्तराखंड औद्यानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परविंदर कौशल, प्रो. यशबीर सिंह, विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, डॉ. प्रकाश पंत आदि मौजूद रहे।