आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम के ताजा आंकड़ों के अनुसार, बीते सात साल में पूरे प्रदेश में भूस्खलन की घटनाओं में 50 तक वृद्धि हो चुकी है। सबसे चिंताजनक तस्वीर पौड़ी जिले की है, जहां इस साल भूस्खलन की 1481 घटनाएं दर्ज की गई हैं। पिछले साल यह आंकड़ा महज 16 था। प्रदेश की बात करें तो इस साल अब तक पहाड़ दरकने की 1659 घटनाएं सामने आ चुकी हैं।पिछले वर्ष महज 245 घटनाएं ही हुई थीं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भूस्खलन मानचित्र में उत्तराखंड के सभी जिलों को संवेदनशील माना गया है। संवेदनशील शीर्ष 10 जिलों में रुद्रप्रयाग पहले और टिहरी दूसरे नंबर पर है। देश के संवेदनशील 147 जिलों में चमोली-19, उत्तरकाशी-21, पौड़ी-23, देहरादून-29, बागेश्वर-50, चंपावत-65, नैनीताल-68, अल्मोड़ा-81, पिथौरागढ़-86, हरिद्वार-146 और यूएसनगर-147 वें स्थान पर है। पौड़ी पर सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है। पौड़ी के पहाड़ों के दरकने की घटनाओं ने भू-वैज्ञानिकों को चिंतित कर दिया है।