अंतरराष्ट्रीय संस्था मानव मिलन के संस्थापक नेपाल केसरी जैन संत डा. मणिभद्र मुनि महाराज व विराग मुनि महाराज की सर्वोदय शांति पदयात्रा ने शुक्रवार को भारत की सीमा में प्रवेश किया। यात्रा के यहां प्रवेश करने से पूर्व नेपाल के गड्डा चौकी में उनके अनुयाइयों ने विशाल भंडारे का आयोजन किया। नेपाल के आम नागरिकों एवं विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने उन्हें विदाई दी। भारत की सीमा में प्रवेश करते ही जैन संत का जोरदार स्वागत किया गया।
सर्वोदय शांति पदयात्रा नेपाल में दो वर्ष तक विचरण करने के बाद शुक्त्रवार को भारत पहुंची। सीमा में प्रवेश करते ही यहां वातावरण भक्तिमय हो गया। डा. मणिभद्र मुनि महाराज के सैकड़ों अनुयाइयों ने पदयात्रा का जोरदार स्वागत किया। पद यात्रा दो वर्षो तक नेपाल के अलग-अलग राज्यों और शहरों में विचरण करती रही। यह यात्रा बीते गुरुवार की शाम महेन्द्रनगर नेपाल के कंचनपुर से भारत-नेपाल सीमा के गड्डा चौकी पहुंची थी। शुक्रवार को भारत में प्रवेश के बाद यह यहां से नैनीताल, हरियाणा, आगरा आदि शहरों के लिए निकलेगी। जैन संत डा. मणिभद्र मुनि महाराज पदयात्रा के माध्यम से लोगों को धर्म का संदेश दे रहे हैं। 35 वर्ष पूर्व संन्यास लेने के बाद वह अब तक नेपाल व भारत में 85000 किलोमीटर की पदयात्रा कर शांति का संदेश दे चुके हैं। वर्षाकाल के चार माह पदयात्रा रोक दी जाती है। इस अवधि में एक ही स्थल पर शाति का संदेश दिया जाता है। माना जाता है कि वर्षाकाल में अनेक जीव-जन्तु बाहर घूमने लगते हैं, जिससे पदयात्रा के दौरान उनका नुकसान न हो।