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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 24 Mar 2022 10:40 am IST


वर्ल्ड टीबी डे: ट्यूबरकुलोसिस से जुड़े इन मिथकों को क्या आप भी मानते हैं सच?


वर्ल्ड टीबी डे हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। यह खास दिन लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने के साथ इसकी रोकथाम करने के लिए मनाया जाता है। साल 2022 में वर्ल्ड टीबी डे की थीम 'Invest to End TB. Save Lives' रखी गई है। बता दें, अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार सबसे पहले 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबकुलोसिस बैक्टीरिया की खोज की थी। 

टीबी से जुड़े मिथक-
-टीबी का इलाज मुमकिन नहीं है। लेकिन यह बात सच नहीं है। बता दें कि टीबी का इलाज लंबा चलता है लेकिन यह मुमकिन है। टीबी का इलाज पूरा करवाने से यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
-टीबी के बारे में लोगों का दूसरा मिथक यह है कि टीबी की समस्या केवल फेफड़ों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं। लेकिन टीबी की समस्या खून के जरिये फैलकर शरीर के अन्य अंगों पर भी प्रभाव डाल सकती है।
-टीबी एक जानलेवा रोग है। यह भी एक मिथक है। अगर समय रहते व्यक्ति टीबी का इलाज करवा लें तो जान को बचाया जा सकता है।
-टीबी रोग में सिर्फ खांसी होती है। ऐसा नहीं है, ये केवल शुरुआती लक्षण हैं। संक्रमित व्यक्ति को सीने में दर्द, बुखार की समस्या, बलगम के साथ खून निकलना जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।  

टीबी का खतरा किसे सबसे अधिक-
-एचआईवी से संक्रमित मरीजों में टीबी होने की संभावना अधिक रहती है।
-रोग प्रतिरोधक तंत्र से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे लोगों को टीबी का जीवाणु तेजी से जकड़ता है।
-कुपोषित लोग इस जीवाणु के आसान शिकार होते हैं।वर्ष 2019 में 19 लाख कुपोषित लोगों को टीबी हुआ।
-शराब पीने वाले 7.4 और सिगरेट पीने वाले 7.3 लाख लोग टीबी की चपेट में आए थे। 
-ऐसे लोग जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो।