Read in App

Rajesh Sharma
• Sun, 8 Aug 2021 3:44 pm IST


रक्षा मंत्रालय पर भी मोदी सरकार के निजीकरण की पड़ रही है मार... मिश्रा


हरिद्वार। महिला कांग्रेस की महानगर अध्यक्ष अंजू  मिश्रा ने कहा कि अब केंद्र सरकार रक्षा मंत्रालय की जमीन बेचने की तैयारी में है। आखिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि केंद्र सरकार रक्षा मंत्रालय की जमीन और आयुध फेक्ट्रीयां कोड़ियों के दाम बेचने जैसे प्रपोजल तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि अच्छे दिन लाने का दावा करने वाली मोदी सरकार देश के सामने यह कैसे दिन ला रही है कि आयुध निरमाणियों को बेचकर सरकार अपना घाटा पूरा करना चाहती है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी. श्री कुमार ने इस बारे में जो तथ्य सामने रखे हैं वह बहुत चिंताजनक हैं ।
 उन्होंने कहा कि पूर्व रक्षा मंत्री  मनोहर परिकर इस सौदे के खिलाफ थे। जबकि अब मौजूदा रक्षा मंत्री से अभी तक फेडरेशन के प्रतिनिधि से बातचीत नही हो पायी है। आयुध कारखानों की जमीन 2 लाख करोड़ रुपये की है। जबकि सरकार अपने चहेते उधोगपतियों को 62 हजार एकडः जमीन कोडिंयों के भाव दिलाने के लिए 72 हजार करोड़ रुपए लगवा रही है। एआईडीईएफ के महासचिव सी श्री कुमार कहते हैं।। सरकार ने भारतीय आयुध कारखानों को बेचने की धुन पाल रखी है। इसका फायदा या नुकसान क्या है। सरकार को तो बस ये थरोहर बेचनी है। देश में 41 आयुध निरमाणियां है। सात संगठन है। इन सभी आयुथ निर्माण कारखानों की जमीन देखें तो वो 62 हजार एकड़ से अधिक है। सरकार की मंशा है इस जमीन को कोडिंयों के भाव बड़े उधोगपतियों को दिया जाय। ये देश की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है। इन आयुध निर्माण कारखानों ने सेना अर्धसैनिक बलों और पुलिस को बड़े पैमाने पर गोला बारूद और दुसरा साजो सामान सप्लाई किया जाता है। देश के अलग अलग आर्डिनेन्स कारखानों में 80 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं। ऐसे बहुत से कारखाने हैं। जिसके लिये किसानों और आदिवासियों ने अपनी जमीन दी है। सरकार का यह फैसला किसानों और देश की सुरक्षा के हित में नहीं है।