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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 25 Dec 2022 4:35 pm IST


उद्यमी बनने का ऐसा नशा कि दो दिन में ही कालेज छोड़ दिया कालेज, अब करोड़ों में है कंपनी का टर्नओवर


 हौसले बुलंद हों तो दुनिया की कोई ताकत आपको अपना लक्ष्य पाने से नहीं रोक सकती। कुछ ऐसा ही किस्सा 17 साल की उम्र में ही इंजीनियरिंग छोड़कर बिजनेस शुरू करने वाले रितेश अग्रवाल की भी है। उन्होंने अपनी मेहनत और लग्न के दम पर बिना किसी की मदद के शुरू किए कारोबार को 28 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। ओयो रुम 1 बिलियन डॉलर की नई रकम जुटाने की तैयारी कर रहा है। आज हम आपको  ओयो रूम के फाउंडर रितेश अग्रवाल के बारे में बताएंगे।ओडिशा के बिस्सम कटक गांव में जन्मे रितेश अग्रवाल ने अपनी स्कूली शिक्षा रायगड़ा के सेक्रेट हार्ट स्कूल से की है। घुम्मकड़ी मिजाज के रितेश छोटी उम्र से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से इंस्पायर थे। रितेश वेदांता के अनिल अग्रवाल को भी अपना आदर्श मानते हैं।
आम लड़कों की तरह रितेश भी अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आईआईटी में इंजीनियरिंग की सीट हासिल करना चाहता थे। इसके लिए उन्होंने कोचिंग इंस्टीट्यूट भी ज्वाइन किया, लेकिन इंजीनियरिंग में वह सफल नहीं हो सके,  फिर उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में दाखिला ले लिया।  एक इंटरव्यू में रितेश ने बताया था कि वह सिर्फ दो दिन ही लंदन यूनिवर्सिटी के दिल्ली कैंपस रहे थे। इसके बाद वह उसे छोड़कर चले आये। हालांकि, उनके इस फैसले से उनके माता-पिता बिल्कुल खुश नहीं थे, लेकिन जब उन्हें रितेश का पूरा आइडिया समझ में आया तो उन्होंने बेटे का पूरा साथ दिया।  दरअसल, रितेश घूमने फिरने के काफी शौक़ीन थे। साल 2009 में उन्हें देहरादून और मसूरी की ट्रिप पर जाने का मौका मिला। यहां आने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऐसे ही अनुभवों ने रितेश को प्रेरित किया और उन्होंने एक ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बनाने के बारे में सोचा, जहां एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को बेड एंड ब्रेकफास्ट के साथ रहने की किफायती सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
इसी आइडिया के साथ साल 2011 में रितेश ने ओरावेल की शुरुआत की।  रितेश के आइडिया से प्रभावित होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने 'ओरावेल' में निवेश किया और को-फाउंडर बन गए। इसके बाद साल 2012 में 'ओरावेल' को उस वक्त आर्थिक मजबूती मिली, जब देश के पहले एंजल आधारित स्टार्ट-अप एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल से उसे बुनियादी पूंजी प्राप्त हुई। हालांकि, वेंचर को खड़ा करने में रितेश को  कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें सबसे प्रमुख थीं- फंडिंग, मार्केटिंग और प्रॉपर्टी के मालिकों और निवेशकों तक पहुंचना। आज ओयो सॉफ्टबैंक समेत मौजूदा इनवेस्टर्स और हीरो एंटरप्राइज से 25 करोड़ डॉलर (1,600 करोड़ रुपए से अधिक) की नई फंडिंग हासिल कर चुका है। कंपनी इस फंड का इस्तेमाल भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए करना चाहती है। बता दें कि इस नई फंडिंग के बाद कंपनी की वैल्यूएशन करीब 90 करोड़ डॉलर यानी 6000 करोड़ रुपए पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।