द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर (मध्यमहेश्वर) की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से कैलाश के लिए रवाना हो गयी है. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर सैकड़ों भक्तों ने पुष्प-अक्षत्रों से बाबा की डोली को विदा किया और लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली व विश्व समृद्धि की कामना की.इससे पहले भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी बांगेश लिंग ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत भगवान मदमहेश्वर सहित 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया तथा भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को परम्परानुसार चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया. दस्तूरधारी गांवों के ग्रामीणों की ओर से भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी गई. चल विग्रह उत्सव डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा कर कैलाश के लिए से रवाना हुई. रावल भीमाशंकर लिंग सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंगोलचारी तक भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई की.