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DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 16 Oct 2021 5:17 pm IST


Motivation Story by Himanshu Dixit


आँखें मूंद कर सपने देख लेना और खुलते ही उनका सव हो जाना क्या वो एक जुझारू विषय हो सकता हैं, जिस पर हम चर्चा कर सकें? नहीं।

क्या आपका आदर्श कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता हैं जिसने बिना संघर्ष किए, बिना किसी हनरकेसफलता अर्जित की हो और आप उससे प्रेरित हों? नहीं ना?

अगर आपका जवाब भी नहीं हैं तो इसका एकमात्र अर्थ हैं कि संघर्ष जिसे Struggle बोलते हैं उसका होना आपके जीवन में कितना महत्व रखता हैं, अगर हमारा आदर्शकोई संघर्ष रहित व्यक्ति नहीं हो सकता तो हम कैसे संघर्ष करने से कतरा सकते हैं। वास्तव में ये संघर्ष ये Struggle हैं क्या?

पहले संघर्ष को परिभाषित करके समझते हैं

संघर्ष वह डिग्री हैं जिसके बिना आप पहचाने जाने के वर्ग में शामिल नहीं हो सकतेयासरल शब्दों में कहें तो जब आप अपने अपने विशिष्ट क्षेत्र में कार्य ढंढने के लिए घरसे निकलते हैं तो उस कार्य को पाने के लिए किया गया कर्म ही संघर्ष कहलाता है जिसने वास्तव में आपको सार्थक किया जिससे आपको अपनी पहचान का असली मूल्य समझ आया।

कई बार हम अपने आसपास अपने शहर के नामवीन व्यापारियों का दिवाला निकल जाने की खबर सुनते हैं, कारण कई हो सकते हैं मगर यहाँ हम संघर्ष के महत्व को चिन्हित करतेहए एक उदाहरण पेश करेंगे। मान लोकरोडीमल लाला की अच्छी खासी चलने वाली दुकान अचानक ठप हो गई, हआ ऐसे कि लाला करोडीमल जिसने ये दकान कठिन परिश्रम सेखड़ी कि थी जिसमें करोडीमल के संघर्ष के कई सात नज़र आते हैं उसने दुकान का उतराधिकारी अपने बेटे को बिना किसी अनुभव के बना दिया और आप घर में बुढ़ापासुख में काटने की सोचकर आराम करने लगा। मगर बेटा जिसे बिना अनुभव के व्यापारका स्वामित्व प्राप्त हो गया उसने दुकान को बड़े पैमाने पर करने के लिए एक बडा multipurpose store बना दिया और सभी बड़े और आधुनिक सामान रख लिए जिनका एक कस्बे में कोई मोल नहीं था क्योंकि लोगों को तो वहीं सस्ता और टिकाऊ राशन चाहिए था, अब लोग बड़ी दुकान देखकर ही महँगाई का आभास लगाकर दुकान पर जाने से कतराने लगे तो इसलिए लाला करोडीमल का दिवाला निकल गया।

ऐसा हुआ क्यों?

क्योंकि इस व्यापारका असली महत्व करोडीमल को पता था उसी ने इसे छोटे स्तरसे बड़े स्तर तक पहुँचाया संघर्ष करते करते, करोडीमलको सालों का अनुभव था कि लोगों को क्या चाहिए मगर बेटे को नहीं।

तो बिना संघर्ष के कोई भी पहवान ज़्यादा लम्बे समय तक नहीं टिक सकती क्योंकि संघर्ष से अनुभव आता हैं और अनुभव से चीज़ों का वास्तविक मूल्य पता चलता हैं।