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• Fri, 14 Jun 2024 2:21 pm IST


अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग डॉक्टर, जानें कब किसके पास जाएं....


अगर हड्डियां टूट जाए तो लोग दौड़कर हड्डी वाले डॉक्टर के पास जाते हैं, इसी तरह अगर किसी को हार्ट से संबंधित परेशानी है तो वह कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाते हैं. इतना तक तो ठीक है लेकिन यदि आप आपके दिमाग में कोई परेशानी है, आपको चीजों को याद करने में दिक्कत हो रही है, नसों में दर्द हो रहा है तो अक्सर आप कंफ्यूज हो जाते हैं कि किस डॉक्टर के पास जाएं. आधुनिक युग में अब हर अंग के अलग-अलग तरह की पढ़ाई होती है. इसके लिए अलग-अलग स्पेशलिस्ट कोर्स किए जाते हैं. इसी परेशानी को समझते हुए डॉक्टरो से बात कर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के बारे में यहां विस्तार से बता रहे हैं.

कितने तरह के डॉक्टर :

प्राइमरी केयर प्रोवाइडर- अगर बुखार आ जाए, उल्टी होने लगे, पेट खराब हो, सिर में दर्द हो रहा हो, कमजोरी या थकान महसूस हो रहा है तो ऐसी बीमारियों के लिए पहले जेनरल फिजिशियन डॉक्टर के पास जाना चाहिए. ये डॉक्टर MBBS के बाद MD फिजिशियन कोर्स किए रहते हैं. मतलब मामूली परेशानियों के लिए जिसमें आपको लगे कि शरीर में कोई अंदरुनी परेशानी नहीं है तो इसके लिए पहले जनरल फिजिशियन के पास जाएं.

क्रिटिकल केयर- अगर अचानक एक्सीडेंट हो गया, अचानक बेहोश हो गए, अचानक शरीर का कोई अंग काम करना बंद कर दिया या ऐसी कोई भी परेशानी जिसमें आप खुद से कोई भी काम न कर सके तो तुरंत आपको अस्पताल जाना होगा. यहां आपको क्रिटिकल केयर मेडिसीन के एक्सपर्ट इलाज करेंगे. क्रिटिकल केयर मेडिसीन MD में एक स्पेशलिस्ट कोर्स होता है. ऐसे डॉक्टर यदि सुपर स्पेशएलिटी हैं तो वे DM कोर्स किए रहते हैं. यानी डॉक्टरेट ऑफ मेडिसीन. ऐसे डॉक्टर आईसीयू में मरीज का इलाज करते हैं और वह आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेशन भी कर सकते हैं.

इंटरनल मेडिसीन- अगर शरीर के अंदरुनी अंगों में कोई परेशानी है और आपको पता नहीं चल रहा है कि किस अंग में परेशानी है तो इसके लिए पहले इंटरनल मेडिसीन के डॉक्टर के पास जाना चाहिए. इसमें हार्ट, लंग्स, लिवर, गैस्ट्रो, किडनी, ब्रेन, नसें, मसल्स से संबंधित बीमारियां हो सकती है लेकिन आपको पता नहीं चल रहा कि किस अंग में बीमारी है. यह डायबिटीज, कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर भी हो सकता है. इसके लिए इंटरनल मेडिसीन के डॉक्टर के पास जाना होता है जो जांच कर यह बताएंगे कि आपको कौन सी बीमारी है, इसके बाद आप उससे संबंधित बीमारियों के डॉक्टर के पास इलाज करा सकते हैं.

कार्डियोलॉजिस्ट-अगर हाई ब्लड प्रेशर है, धड़कने सही से नहीं चल रही, खून में थक्का जम जा रहा हो, हार्ट या वाल्व से संबंधित कोई बीमारी हो तो आपको कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. ऐसे डॉक्टर MD कार्डियोलॉजिस्ट और इससे उपर MD के बाद DM कार्डियोलॉजिस्ट हो सकते हैं.

डर्मेटोलॉजिस्ट-अगर आपको स्किन से संबंधित कोई बीमारी है, चेहरे पर दाग-धब्बे या कील-मुहांसे है, खुजली हो गई है, बालों से संबंधित परेशानी है तो आपको डर्मेटोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. अगर पांव में छाले पड़ जाए तो डर्मेटोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए.

इंडोक्रायनोलॉजिस्ट– यदि डायबिटीज है, फर्टिलिटी से संबंधित बीमारी है, हार्मोन का असंतुलन है, मोटापा है, थायरॉयड है, ऑस्टियोपोरोसिस है, ओवरी में सिस्ट है, थायरायड कैंसर, पीसीओएस है तो ऐसे मामलों में एंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉक्टर के पास जाना चाहिए. ये डॉक्टर एमडी तो होते ही है, इसके बाद सपुर स्पेशिएलिटी कोर्स डीएम भी किए रहते हैं.

गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट- ये डॉक्टर लिवर और आंत से जुड़ी बीमारियों को देखते हैं. यदि पाचन तंत्र खराब है, आंत में कोई बीमारी है, गॉल ब्लैडर में स्टोन है, लिवर खराब हो रहा है, पेट में बहुत दिनों से गैस और ब्लोटिंग की समस्या है, पैंक्रियाज में कोई दिक्कत है तो ऐसे मरीजों को गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए.

जेरिएट्रिशियन- बुजुर्गों से संबंधित बीमारियों के लिए जेरिएट्रिशियन डॉक्टर होते हैं. इसमें बुजुर्गों के दिमाग, फिजिकल स्ट्रैंथ, बौद्धिक क्षमता आदि से संबंधित इलाज किया जाता है.

हेमेटोलॉजिस्ट- अगर शरीर में खून की कमी हो गई है, ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है या खून का थक्का नहीं बनता या खून रूकता ही नहीं तो ऐसे में हेमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर से दिखाना चाहिए.

हेपाटोलॉजिस्ट- अगर हेपटाइटिस की बीमारी है, सिरोसिस है, फैटी लिवर डिजीज है, लिवर कैंसर, लिवर फेल्योर, लिवर से संबंधित किडनी डिजीज है तो हेपाटोलॉजिस्ट से दिखाना चाहिए. हालांकि ज्यादातर गैस्ट्रो डॉक्टर ही हेपाटोलॉजिस्ट होते हैं.