इस दुनिया में बहुत से लोग है जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेके और हर चुनौती का सामना कर अपने लक्ष्य को हासिल किया। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिसने तीन साल की छोटी सी उम्र में अपनी बोलने और सुनने की क्षमता खो दी थी। इतनी बड़ी शारीरिक बाधा के बावजूद इस छोटे बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी कर दुनिया के सामने खुद को साबित किया। अपनी प्रतिभा के दम पर इस बच्चे ने देश के प्रतिष्ठित लोगों से मिलने और उनसे सम्मान प्राप्त करने का गौरव भी प्राप्त किया। ये ख़ास शख्स हैं अजय कुमार गर्ग। अजय जयपुर के रहने वाले हैं। बताया जाता है कि वे जब 3 साल के थे तब उन्हें चोट लग गई थी, जिसके इलाज के दौरान उन्हें अस्पताल में गलती से उन्हें गलत इंजेक्शन लगा दिया गया जिससे उनकी बोलने और सुनने क्षमता चली गई। इतने बड़े झटके के बाद भी उनके माता-पिता ने इसे अजय की कमी नहीं बनने दी। उन्हें भरोसा था कि अगर ईश्वर ने उनके बेटे के साथ ऐसा किया है तो उसके लिए जरूर कोई रास्ता बनाया होगा।
अजय को बचपन से ही पेंटिंग्स का शौक था और यही से उनके जीवन की दिशा बदल गई। अजय बचपन से ही शानदार पेटिंग करते थे। जब वे महज 5 साल के थे तब उनकी एक पेंटिंग को देखकर धौलपुर (राजस्थान) में रॉयल कोर्ट के नामी आर्टिस्ट सुआ लास भी दंग रह गए। वे अजय की कला से इतने इम्प्रेस हुए कि उन्होंने तुरंत उन्हें अपनी विंग में ले लिया। बस यही से अजय की प्रोफेशनल आर्ट ट्रेनिंग का सफर शुरू हुआ था। अजय ने अपनी पेंटिंग्स को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बना ली और अपनी कला के जरिये दुनिया से बात करने लगे। अजय की शारीरिक बाधा कभी भी उनकी सफलता के आड़े नहीं आई। 10 साल की उम्र तक आते-आते उनकी इस कला पर पकड़ मजबूत हो गई।
4 साल बाद उन्हें आशा देवी के साथ काम करने का मौका मिला और यहां पर अजय ने मिनिएचर पेंटिंग सीखी। बता दें कि मिनिएचर पेंटिंग सबसे कठिन आर्ट्स में से एक है। पेंटिंग की इस शैली में बहुत ज्यादा ध्यान लगाना होता है क्योंकि ये सिंगल-हेयर ब्रश से की जाती है और इसमें हाथ को एक ही स्थान पर टिकाकर रखना होता है। अजय ने चावल के दानों और बादाम पर भी चित्रकारी करना सीखा है। अजय को उनकी कला के लिए साल 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें पत्र लिखकर कई लोगों की प्रेरणा बताया। अजय ने ब्रिटेन, अमेरिका और मैक्सिको सहित दुनिया भर में 30 से अधिक देशों में सोलो एग्जीबिशन की हैं।