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• Thu, 11 Mar 2021 6:29 pm IST


भाजपा ने सीएम चुनने में हमेशा कम दी है तरजीह


बागेश्वर- राज्य गठन के बाद से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर गढ़वाल का दबदबा रहा है। भाजपा के शासनकाल में केवल एक बार कुमाऊं के जनप्रतिनिधि को मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल हुई है। वहीं कांग्रेस ने दो बार कुमाऊं की झोली में यह अहम जिम्मेदारी डाली है। इस बार लोगों को उम्मीद थी कि बचे हुए कार्यकाल के लिए कुमाऊं के किसी नेता को भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व यह जिम्मेदारी देगा लेकिन इस बार भी भाजपा नेतृत्व ने कुमाऊं की अपेक्षा गढ़वाल को तबज्जो दी। 9 नवंबर 2000 को राज्य की स्थापना हुई। भाजपा नेतृत्व ने नित्यानंद स्वामी को अंतरिम सरकार के सीएम पद का तोहफा दिया। स्वामी 9 नवंबर से 29 अक्तूबर तक सीएम की कुर्सी पर रहे। भाजपा ने राज्य के पहले विधानसभा चुनाव से पहले खांटी संघी भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बनाकर कुमाऊं को प्रतिनिधित्व दिया था। कोश्यारी 30 अक्तूबर से एक मार्च तक अल्प समय के लिए सीएम की कुर्सी पर रहे। वर्ष 2002 में कांग्रेस सत्ता में आई। कांग्रेस ने अनुभवी नेता एनडी तिवारी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी।