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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 10 Jul 2022 9:00 am IST

अंतरराष्ट्रीय

श्रीलंका : आर्थिक संकट से जूझ रहा देश, नाश्ता न देना पड़े इसलिए दोपहर तक सो रहे बच्चे...


श्रीलंका में महीनों दिलों में पल रही आग 9 जुलाई को धधक पड़ी। नतीजतन राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति भवन छोड़कर भागना पड़ा। 

राजधानी कोलंबो में लाखों की संख्या में एकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा, बदलाव के जिस वक्त का हम इंतजार कर रहे थे, वो आ गया है। गोतबाया के भागने से जनता में खुशी है, और गुस्सा कुछ कम हुआ है। भुखमरी के हालात ने उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया है। बता दें कि, श्रीलंका में लोगों को रोजमर्रा से जुड़ी चीजें भी कई गुना महंगी मिल रही हैं। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो चुका है, जिससे जरूरी चीजों का आयात नहीं हो रहा। पेट्रोल-डीजल के लिए कई किलोमीटर लंबी लाइनें हैं।

राजपक्षे का प्रमुख पदों पर कब्जा हो गया। महिंदा प्रधानमंत्री बने तो भाइयों गोतबाया को राष्ट्रपति, बासिल राजपक्षे को वित्त मंत्री, चामल राजपक्षे को सिंचाई और कृषि मंत्री और बेटे नामल राजपक्षे को खेल मंत्री बना दिया। देश का 70% बजट इन पांचों के नियंत्रण में आ गया। करीब 45 हजार करोड़ रुपये विदेश भेज दिए। यह रकम 2021 में देश से निर्यात हुए उत्पादों के मूल्य की एक-तिहाई है।

महिंदा राजपक्षे ने 700 करोड़ डॉलर की गैर-जरूरी परियोजनाओं के लिए चीन से लोन लिया। नतीजे में हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए चीन को देना पड़ा। तमिलों को क्रूरता से कुचला, जिससे यह समुदाय आर्थिक विकास से कट गया। खेती को ‘ऑर्गेनिक’ बनाने के लिए रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाए गए, जिससे उत्पादन तेजी से गिरा। चीन, भारत, जापान, एडीबी, वर्ल्ड बैंक, सहित कई देशों व संस्थाओं का कर्ज इतना बढ़ा कि जरूरी चीजों का आयात घटाना पड़ा। इन्हीं हालात ने श्रीलंकाई रुपये की कीमत गिराई। 1 मार्च को जो 1 डॉलर 202 रुपये का था, आज 362 रुपये का हो चुका है।

मई में जो महंगाई 39.1 फीसदी थी, वो जून में बढ़कर 54.6 फीसदी हो गई है। अगर सिर्फ खाद्य महंगाई को देखें तो मई में जो 57.4 फीसदी थी, वो जून में बढ़कर 80.1 फीसदी हो गई है। श्रीलंका में महंगाई की रफ्तार समूचे एशिया में सबसे ज्यादा है।