निजी स्कूलों का नया सत्र प्रारंभ होते ही कॉपी और किताबों पर कमीशन का खेल भी शुुरू हो चुका है। दरअसल, निजी स्कूलों ने सब शैक्षिक सामग्री के लिए एक-एक दुकानें निर्धारित कर दी हैं। जिससे शैक्षणिक सामग्री खरीदने के लिए दुकानों से अभिभावक की लंबी-लंबी लाइन लगाकर लुट रहे हैं। स्कूलों में शिक्षा का नया सत्र शुरू हो चुका है। निजी स्कूलों की ओर से कॉपी-किताबों से लेकर ड्रेस, बैग के लिए गिनी-चुनी दुकानें तय कर दी हैं। जिससे अभिभावकों से दुकानदार मनमाने दाम वसूले रहे हैं। गिनती की दुकान होने से अभिभावकों को पाठ्यक्रम समेत अन्य शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए पसीना अलग से बहाना पड़ रहा है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दुकानदारों को कर्मचारियों को लगाना पड़ रहा है। खास बात यह है कि ड्रेस सर्दी की या गर्मी की हो, दुकान वाले के पास दाम पूछने पर जवाब भी रेट की तरह फिक्स हैं। कोई मोलभाव नहीं है। ऐसा ही किताबों और अन्य स्टेशनरी में भी है।