उत्तराखंड के करीब 22 हजार उपनल कर्मचारियों की नजर सुप्रीम कोर्ट में दायर उस याचिका पर है, जो उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकती है. हालांकि, यही उपनलकर्मी सरकार के उस फैसले से भी हैरत में हैं, जिसमें उनके हकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के भीतर देश के नामी वकीलों की फौज खड़ी कर दी गई है. यही नहीं, खराब वित्तीय हालातों का हवाला देने वाली सरकार इसके लिए हर सुनवाई पर लाखों खर्च कर रही है.
राज्य में ऐसे कम विभाग ही होंगे जहां उपनल कर्मचारियों की सेवाएं ना ली जा रही हों. यह बात प्रदेश में सरकारी विभागों और निगमों में काम करने वाले उपनल कर्मचारियों की बड़ी संख्या को जाहिर करने के लिए काफी है. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो करीब 22 हजार ऐसे कर्मचारी हैं जो उपनल के मार्फत सरकारी विभागों में कार्यरत हैं. लेकिन खबर यह नहीं है बल्कि खबर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका संख्या -536/2021 रजनी चौहान एवं अन्य बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य से जुड़ी है. इसके अलावा एसएलपी 2388/2019 उत्तराखंड सरकार बनाम कुंदन सिंह के मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता ऑन रिकॉर्ड एडवोकेट मंजू जेटली, सनप्रीत सिंह अजमानी, वरिष्ठ अधिवक्ता जितेंद्र मोहन शर्मा एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पी एस पटवालिया है. उपरोक्त केस में राज्य सरकार द्वारा भिन्न भिन्न विभागों के 87 मामले जोड़े गए हैं.