Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 13 Jan 2022 4:38 pm IST


पितृलोक के दक्षिणायन से देवलोक के उत्तरायण तक


छह महीनों से दक्षिण के शीतल पितृलोक की ओर चल रही भगवान भास्कर की महायात्रा अब विराम के साथ उत्तर के देवलोक की ओर चल पड़ेगी। धनु राशि का त्यागकर सूर्य जैसे ही मकर राशि में प्रविष्ट होंगे, दक्षिणायन संपन्न होगा, उत्तरायण प्रारंभ हो जाएगा। अग्नि, गुड़, तिल, खिचड़ी, घी आदि से जुड़े पर्वों की शुरुआत होगी। पौष के खरमास में रुके विवाह भी प्रारंभ हो जाएंगे। उत्सव प्रिया उत्तरायणी के आगमन से विवाह, मुंडन, यग्योपवीत, कर्णछेदन आदि मांगलिक संस्कार शुरू होते ही सूर्य का तापमान तिलतिल बढ़ने लगेगा। गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और मत्स्य पुराण आदि के अनुसार उत्तर में देवलोक और दक्षिण में पितृलोक स्थित हैं। मार्त्तंड पंचांग के आचार्य प्रियव्रत शर्मा के अनुसार विज्ञान ने इन्हें उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव बताया है। सूर्यनारायण जब दक्षिण की ओर बढ़ते हैं तब दक्षिणी ध्रुव और पितृलोक के अत्यंत ठंडे होने के कारण सर्दी बढ़ जाती है। दक्षिणी लोक में रातें बड़ी और दिन छोटे होते हैं। सूर्य की दक्षिण यात्रा को दक्षिणायन कहा जाता है और यह सूर्य के कर्क राशि में जाने पर आषाढ़ मास में प्रारंभ होती है। जैसे जैसे सूर्य दक्षिण की ओर बढ़ेगा रात बड़ी होने से उसका तापमान घटता जाएगा।