ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्वकप से पहले भारत के लिए डेथ ओवरों की गेंदबाजी चिंता का सबब बनी है। हाल तक भुवनेश्वर कुमार यह भूमिका अच्छी तरह निभाते रहे हैं, लेकिन पिछले दो वर्षों में वह इस तरह की गेंद नहीं फेंक पाए हैं। वह कुछ अच्छे ‘स्पैल’ डालते हैं लेकिन अच्छी टीमों के खिलाफ यह करिश्मा या ‘एक्स फैक्टर’ दिखना बंद हो गया है।साल 2007 विश्व कप टीम के सदस्य रह चुके हरभजन सिंह को लगता है कि मौजूदा फॉर्म और कौशल को देखते हुए दीपक चाहर को भुवनेश्वर पर तरजीह दी जानी चाहिए। वह मानते हैं कि टीम में दोनों को साथ रखने से आक्रमण थोड़ा ‘एकतरफा’ दिखेगा। अभी शमी के चयन को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। भुवनेश्वर ने 78 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं जिसमें उनका इकोनॉमी रेट 7.02 ठीक ही लगता है, लेकिन वह ‘डेथ ओवरों’ (अंतिम ओवरों) की जिम्मेदारी संभालने में इतने सफल नहीं रहे हैं। भुवनेश्वर ने 2021 के बाद से भारत के लिए 23 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, लेकिन उन्हें केवल 15 विकेट ही मिले हैं।चिंता सिर्फ इतनी ही नहीं है बल्कि सबसे बड़ी परेशानी यह है कि उन्होंने अंतिम ओवरों (17वें से 20वें ओवर के बीच) में 159 गेंद फेंकी है जिसमें उन्होंने 10.03 के इकोनोमी रेट से 266 रन लुटाए हैं। उन्होंने 23 अतिरिक्त रन दिए हैं लेकिन इन 23 पारियों में उनके खिलाफ 20 चौके और 12 छक्के लगे हैं।