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• Tue, 6 Jul 2021 9:00 am IST


आपदा के बाद से नहीं ली पितृ कुंड की सुध


केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में पितृ कुंड का आठ वर्ष बाद भी पुनरोद्धार नहीं हो पाया है। कूड़े-कचरे से पटे कुंड के चारों तरफ पत्थर बिखरे हुए हैं। तप्तकुंड का पुनर्निर्माण भी अधूरा पड़ा हुआ है। हक-हकूकधारियों व ग्रामीणों/व्यापारियों ने शासन-प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर गुप्तकाशी से 36 किमी की दूरी पर स्थित गौरीकुंड का विशेष धार्मिक महत्व है। यहां आराध्य मां भगवती गौरी का प्राचीन मंदिर है। साथ ही पितृ कुंड व तप्तकुंड सहित तीन प्राचीन कुंड हैं, लेकिन केदारनाथ आपदा के बाद से इनकी शासन-प्रशासन ने सुध नहीं ली है। रविग्राम निवासी व हक-हकूकधारी विजय जमलोकी, नरेंद्र दत्त, शंभू प्रसाद, अरविंद जमलोकी, विनोद प्रसाद का कहना है कि आपदा के बाद से पितृ कुंड (पीला कुंड) का आज तक पुनरोद्धार नहीं किया गया है।