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• Mon, 8 Feb 2021 11:41 am IST


जाने आखिर क्यों ग्लेशियर खिसक रहे हैं


उत्तराखंड में कुदरती आपदाओं की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। 2013 में अतिवृष्टि से चोराबरी ग्लेशियर में बनी झील के टूटने से केदारनाथ की आपदा आई थी। हरिद्वार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में बाढ़ आ गई थी। एक बार फिर ऋषि गंगा में ग्लेशियर टूटने की घटना ने आगाह किया है कि हिमालयी ग्लेशियर और बांध पूरे उत्तर भारत में बड़ी तबाही का सबब बन सकते हैं।

क्या कारण हैं जो आपदा लगातार आ रही है 

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार  गंगोत्री ग्लेशियर पर्यावरण में आए बदलाव के चलते हर साल 22 मीटर पीछे खिसक रहा है। जहां तक सब दूसरे सबसे बड़े ग्लेशियर का सवाल है तो पिंडारी ग्लेशियर 30 किमीमीटर लंबा और 400 चौड़ा है। यह ग्लेशियर त्रिशूल, नंदा देवी और नंदाकोट पर्वतों के बीच स्थित है। पर्यावरणीय बदलाव की वजह से फिलहाल हर साल ये ग्लेशियर कई मीटर तक पीछे खिसक रहे हैं। अतिसंवेदनशील ग्लेशियरों के टूटने, एकाएक पिघलने से उत्तर भारत में भयावह बाढ़ और तबाही की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।