भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को महंगाई को कम करने के मद्देनजर उठाए गए कदमों पर बोलते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौरान उच्च मुद्रस्फीति को सहन करना एक आवश्यकता थी। इसको नियंत्रित करने के लिए हमारे द्वारा उचित कदम उठाए जा रहे हैं। हम अपने हर फैसले पर पूरी तरह से कायम हैं।
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास की आवश्यकताओं के अनुरूप था और आरबीआई को नियंत्रित करने वाले कानूनों में स्पष्ट रूप से मुद्रास्फीति के प्रबंधन के बारे में उल्लेख किया गया है। आरबीआई ने महामारी की स्थिति में विकास पर ध्यान केंद्रित किया और आसान तरलता की स्थिति पेश की। इसके बावजूद, वित्त वर्ष 2021 में अर्थव्यवस्था 6.6 प्रतिशत तक सिकुड़ गई। दगौरतलब है कि आरबीआई गवर्नर का यह बयान पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की उस टिप्पणी के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने में रिजर्व बैंक ने देरी की।
शक्तिकांत दास ने कहा कि मार्च में आरबीआई ने महसूस किया कि आर्थिक गतिविधि पूर्व-महामारी के स्तर से ऊपर थी और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि आरबीआई ने सक्रिय रूप से काम किया है और मैं फैसले के खिलाफ किसी भी धारणा से सहमत नहीं हूं। उन्होंने कहा कि जरा सोचिए कि अगर हमने दरों में जल्दी वृद्धि करना शुरू कर दिया होता, तो विकास का क्या होता?
इसके साथ ही दास ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि बहुत जल्द ही सुरक्षित डिजिटल लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए नियमों का खुलासा किया जाएगा। इसके साथ ही जबरन बोन वसूली करने वालों के लिए भी एक सख्त नियम लाया जाएगा। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ब्लॉकचेन प्लेयर्स के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।