खेल सुविधाओं के अभाव में प्रतिभाएं बड़े शहरों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हैं। स्टेडियम में डेढ़ करोड़ रुपये खर्च कर बैडमिंटन हॉल तो बना दिया गया, लेकिन देखरेख के अभाव में वह बदहाली के दौर में है। इससे खिलाड़ियों को कई तरह की समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है।
वर्ष 2018 में ग्रामीण निर्माण विभाग की ओर से स्टेडियम में 145.47 लाख रुपये की लागत से बैडमिंटन हॉल का निर्माण किया गया था। कुछ समय बाद ही निर्माण कार्यों में अनियमितताएं सामने आईं। इसके चलते ग्रामीण निर्माण विभाग के इंजीनियर ने ठेकेदार की सिक्योरिटी मनी भी जब्त कर ली थी। उसके बाद वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण की लहर आने के बाद स्टेडियम बंद होने के चलते जिला प्रशासन की ओर से बैडमिंटन हॉल को कोविड-19 में इस्तेमाल होने वाले उपकरण व अन्य सामानों को रख दिया गया।