मंकीपॉक्स के शुरुआती प्रकोप में विशेषज्ञ भले ही इसके लक्षणों और प्रसार को लेकर आश्वस्त कर रहे हैं। लेकिन दुनियाभर में मिले 47 हजार मरीजों में अलग-अलग तरह के संक्रमण ने माथे पर बल ला दिया है।
अमेरिका और यूरोप में क्लीनिकों पर पहुंचे कई संक्रमितों में परंपरागत लक्षणों के उलट मच्छर के काटने का निशान, मुंहासे नजर आए तो कुछ के शरीर पर स्पष्ट घाव न होने के बावजूद उन्हें निगलने और मल-मूत्र त्यागने में बहुत तेज दर्ज हो रहा था। इसके अलावा, कुछ संक्रमितों में सिरदर्द, अवसाद, भ्रम और सीजर जैसी तकलीफें हुईं हैं।
कई ऐसी मरीज भी हैं, जिन्हें आंखों में संक्रमण और हृदय की मांसपेशियों में सूजन देखी गयी है। कई मरीजों में बुखार, दर्द और कमजोरी जैसा कोई लक्षण ही नहीं दिखा।
मंकीपॉक्स के पुराने लक्षणों के एकदम उलट इन नई परिस्थितियों ने विशेषज्ञों के सामने बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। अब वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित के ठीक होने के कई हफ्तों के बाद भी लार, सीमन और अन्य शारीरिक तरल में मौजूद रहता है। लेकिन कई विशेषज्ञ इस बात पर कायम हैं कि इस बीमारी का संक्रमण यौन संबंधों से होता है।