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Arunesh Pathaniya
• Thu, 9 Sep 2021 11:52 am IST

राजनीति

सौतले व्यवहार से टीम विजय बहुगुणा की बढ़ती नाराजगी पड़ सकती है भारी


देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। विधानसभा चुनाव दस्तक दे रहा है, लेकिन पार्टी में विरोध के सुर सुनवाई देने लगे हैं। 2016 में भाजपा में शामिल हुई विजय बहुगुणा की टीम पार्टी के एक धड़े के निशाने पर है। पार्टी का यह धड़ा इसी उधेड़बुन में लगा है कि किस तरह कांग्रेस से आए नेताओं को भाजपा से बाहर करने के लिए सियासत रची जाए। हाल ही में उमेश शर्मा काऊ के साथ हुए घटनाक्रम ने साफ किया है कि यह धड़ा मजबूत है और मकसद में कामयाब भी हो रहा है।  यह आलम तब है जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष हर महीने उत्तराखंड का दौरा कर रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो चुनाव से पहले बीजेपी के भीतर किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम का होना किसी तरह के आश्चर्य की बात नहीं होगी।सबसे पहले देहरादून जिले की रायपुर विधानसभा सीट की बात करते हैं। यहां से सीटिंग विधायक उमेश शर्मा काउ पहला चुनाव 2012 में कांग्रेस से जीते थे, इसके बाद वो भी 2017 के चुनाव से पहले कई नेताओं के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2017 में बीजेपी की सरकार बन गयी और मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र सिंह रावत, जिन्हें 2012 के चुनाव में काउ ने शिकस्त दी थी। वो हार त्रिवेंद्र को चुभती रही और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके रिश्ते काउ के साथ ठीक नहीं रहे। काउ की विधानसभा क्षेत्र से चार दर्जाधारी मंत्री, चार ओएसडी, पार्टी संगठन में पदाधिकारी मनोनीत करने में क्षेत्रीय विधायक शर्मा काउ को भरोसे में नहीं लिया। अब पार्टी के भीतर ही त्रिवेंद्र समेत कई नेता काउ की सीट पर नज़र गड़ाए हैं।अब यही झगड़ा है कि किस तरह से काउ को सीट से बेदखल किया जाए। रायपुर में ही उमेश शर्मा काउ के ख़िलाफ़ माहौल इतना ख़राब कर दिया जाय कि काउ उत्तेजित होकर कोई ऐसी गलती कर दें जो अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में आ जाए। इसीलिए काउ की घेराबंदी की जा रही है, दो दिन पहले काउ दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से मिले और पूरी बात बताई.
हरक सिंह रावत के साथ भी यही हो रहा हैउधर, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के साथ भी यही हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अपने खास शमशेर सिंह सत्याल को कर्मकार कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत को परेशान करने का काम किया गया था। हरक भी त्रिवेंद्र के बाद तीरथ रावत और अब पुष्कर सिंह धामी को भी सत्याल को हटाने के लिए कई बार कह चुके हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। हरक मामले को लेकर बहुत नाराज हैं और उन्होंने आज कहा भी कि जब हमें बीजेपी में लाया गया था तो अमित शाह द्वारा सम्मान की सुरक्षा की पूरी गारंटी दी गयी थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हरक ने कहा कि पार्टी के भीतर एक धड़ा ऐसा है जो यह चाहता है कि हम सब बीजेपी छोड़ कर चले जाएं। उधर आज इन सभी मसलों को लेकर मंत्री हरक सिंह रावत, मंत्री सुबोध उनियाल और विधायक उमेश शर्मा काउ के बीच बैठक हुई. सुबोध उनियाल ने भी कहा कि राजनीति में लोग सम्मान के लिए आते है, इससे बड़ी कोई चीज नहीं है.