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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 7 Mar 2023 5:00 am IST


फाल्गुन पूर्णिमा आज, पुराणों में बताया बताया गया है इसे अक्षय पुण्य देने वाला दिन


  • ज्योतिषाचार्य और कर्मकांड विशेषज्ञ आचार्य राजेंद्र तिवारी बता रहे हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व   

हिंदू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु, चंद्र देव के साथ मां लक्ष्मी की पूजा के साथ सत्यनारायण की कथा का पाठ करने का विधान है। इसके साथ ही फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि में शाम के समय होलिका दहन करने का विधान है। परंपराओं और मान्यताओं के मुताबिक फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर व्रत रखने से कई गुना पुण्य मिलता है और हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए इस दिन सूर्योदय से लेकर शाम को चंद्रमा के उदय होने तक व्रत रखा जाता है। इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को काफी शुभ योग बन रहे हैं। आइए ज्योतिषाचार्य, वास्तुशास्त्री, भागवत कथा प्रवक्ता एवं कर्मकांड विशेषज्ञ आचार्य राजेंद्र तिवारी से जानते हैं फाल्गुन मास पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

फाल्गुन पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
आचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च शाम 04 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ जो अगले दिन 7 मार्च मंगलवार यानी आज शाम 6 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। आचार्य राजेंद्र तिवारी कहते हैं कि उदया तिथि के हिसाब से फाल्गुन पूर्णिमा 7 मार्च को मनाई जाएगी।
चन्द्रोदय- 7 मार्च को शाम 6 बजकर 8 मिनट पर होगा।  
स्नान का शुभ मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 07 मिनट से 5 बजकर 56 मिनट तक। 
सत्यनारायण पूजा का शुभ समय - सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 2 बजे तक। 
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त (निशिता काल मुहूर्त) - 12 बजकर 13 मिनट से 8 मार्च को सुबह 1 बजकर 2 मिनट तक

पूजा विधि
आचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार सूर्योदय से उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। गंगा स्नान कर लें, तो बेहतर है। इसके बाद साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अब एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्यदेव का अर्घ्य दें। इसके बाद विधिवत तरीके से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें पीले फूल, पीला चंदन, अक्ष आदि चढ़ाने के साथ भोग लगा लगाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर चालीसा, मंत्र और स्तोत्र का पाठ करें। अंत में आरती करने के बाद पूजा के दौरान हुई भूलचूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।  

पुराणों के मुताबिक अक्षय पुण्य वाला दिन
हिंदू कैलेंडर का आखिरी दिन फाल्गुन हिंदू पंचांग का आखिरी महीना होता है। इस महीने का आखिरी दिन पूर्णिमा ही होती है। इसलिए ये खास होता है। आचार्य राजेंद्र तिवारी बताते हैं कि विष्णु, मत्स्य, ब्रह्म और नारद पुराण के मुताबिक इसे मन्वादि तिथि भी कहा जाता है। यानि इस दिन दिया गया दान बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन किए गए दान से अक्षय पुण्य फल मिलता है। इसलिए इस दिन तीर्थ स्नान और श्रद्धा के मुताबिक अन्न, जल, स्वर्ण या कपड़े का दान देने की परंपरा है।

पितरों की तृप्ति का पर्व भी
आचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार पितरों के श्राद्ध का दिन फाल्गुन पूर्णिमा मन्वादि तिथि होने से इस दिन पितृ पूजा का विशेष महत्व है। मत्स्य, नारद और विष्णुधर्मोत्तर पुराण में बताया गया है कि इस दिन श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। कई जगहों पर इस दिन तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष कम होता है।

पूजा-पाठ के लिए खास दिन
आचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा की परंपराएं फाल्गुन पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ में स्नान करने की परंपरा है। पुराणों में कहा गया है कि ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। स्नान के बाद श्राद्धा के अनुसार दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लिया जाता है। फिर घर में विष्णु भगवान की पूजा के बाद मंदिर में जाकर दर्शन किए जाते हैं। दिन में सत्यनारायण कथा का पाठ करते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को भोजन, पानी और कपड़े के साथ ही जरूरी चीजों का दान करना चाहिए।