उत्तराखंड रोडवेज बसों का बुरा हाल है। स्पेयर पार्ट्स की कमी से कर्मचारी भी परेशान हो रहे हैं। कुमाऊं में रोडवेज की 60 प्रतिशत बसों के टायरों में रबर चढ़े हैं। कुमाऊं में परिवहन निगम की 245 से ज्यादा बसें हैं जो 7-8 साल से ज्यादा पुरानी हैं। टूटी सड़कों पर दौड़ते हुए इन बसों की हालत खस्ता हो रही है। बार बार इनकी मरम्मत करानी पड़ रही है।
परिवहन निगम की वर्कशाप में पार्ट्स की भारी कमी बनी हुई है। ऐसे में चालक परिचालकों के साथ ही यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जयपुर रूट की एक बस तो 15 दिन डिपो में खड़ी रही।
वाइपर
काठगोदाम और हल्द्वानी में परिवहन निगम की करीब 110 बसें हैं। इनमें से 40 से ज्यादा बसों में एक ही वाइपर लगा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम प्रबंधन अपने चालक-परिचालक व यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है। चालक सुरेश बिष्ट ने बताया कि तेज बारिश होने पर एक वाइपर होने से बस के शीशे से पार देखना मुश्किल होता है।
टायर
60 प्रतिशत बसों में रबर चढ़े टायर: कुमाऊं में रोडवेज की 60 प्रतिशत बसों के टायरों में रबर चढ़े हैं। कोर्ट की सख्ती के बाद पहाड़ों में चलने वाली अधिकतर बसों के अगले टायर रबर चढे़ नहीं है। पिछले टायर रबर चढ़े हैं जो बारिश में खतरनाक हो सकते हैं। नए टायरों की कमी के चलते मैदानी इलाकों में चलने वाली ज्यादातर बसों को रबर चढ़े टायरों पर दौड़ा रहे हैं।