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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 7 Apr 2022 1:09 pm IST


सरकार की बेरुखी


पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व विख्यात चिपको आंदोलन की सूत्रधार स्व. गौरा देवी को वर्ष 2016 में राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तराखंड रत्न पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके परिजनों को उत्तराखंड रत्न के नाम पर सिर्फ प्रशस्ति पत्र सौंपा गया, लेकिन सम्मान निधि की पांच लाख की धनराशि आज तक नहीं मिली है।गौरा देवी के पुत्र 78 वर्षीय चंद्र सिंह ने हरस्तर से प्रयास करने के बाद अब इस राशि के मिलने की उम्मीद भी छोड़ दी है। पांच साल पहले वर्ष 2016 में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड रत्न की घोषणा की थी। मरणोपरांत गौरा देवी समेत नौ लोगों को उत्तराखंड रत्न के लिए चयनित किया गया था।इस सम्मान में प्रशस्ति पत्र व पांच लाख एक रुपये की सम्मान राशि दी जानी थी। उत्तराखंड शासन ने सम्मान राशि देने के लिए गौरा देवी के पुत्र चंद्र सिंह से वारिस प्रमाणपत्र व मृत्यु प्रमाणपत्र की मांग की, जिस पर उन्होंने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद को आवश्यक प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराए, लेकिन आज तक उन्हें सम्मान राशि का भुगतान नहीं हो पाया है।