‘मुश्किलों से कह दो, उलझा न करें हमसे, हमें हर हाल में, जीने का हुनर आता है’ ये शेर बिहार की पहली महिला कैब ड्राइवर अर्चना पांडेय पर पूरी तरह से चरितार्थ होता है। बचपन के शौक को पेशा बनाकर अर्चना आज न सिर्फ अपना परिवार पाल रही हैं बल्कि अन्य महिलाओं के लिए मिसाल भी बनी है। बिहार की राजधानी पटना के अनीसाबाद की रहने वाली अर्चना पांडेय इस स्टेट की पहली महिला कैब ड्राइवर हैं।
वे पिछले 2 साल कैब चलाकर अपने चार बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं। बुकिंग सवारी को लेकर अर्चना बिहार से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों के साथ ही नेपाल तक का सफर तय कर चुकी हैं। मारुति 800 की ड्राइविंग सीट पर बैठकर वे अपने सपनों की उड़ान भर रही हैं। अर्चना बताती हैं कि पहले उन्होंने प्राइवेट नौकरी की, उसके बाद बिजनेस किया, लेकिन कुछ वजहों से बिजनेस नहीं चला। ऐसे में उन्होंने अपने बचपन के गाड़ी चलाने का शौक को ही अपना पेशा बना लिया और मारुति 800 लेकर सड़क पर निकल गईं।
अर्चना बताती हैं कि वे 2 साल से कैब चला रही है। इस कार के भरोसे वे आज चार बच्चों का पालन पोषण और पढ़ाई लिखाई सब कर रही हैं। वह बताती हैं कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है यही वजह है कि दिन रात मेहनत कर रही हैं, ताकि उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। अर्चना कहती हैं जहां भी बुकिंग मिलती है वे वहां जाती हैं। अर्चना बताती हैं कि मुझे ड्राइविंग करते देख कई बार पैसेंजर तक हैरान रह जाते हैं। वहीं बहुत से लोग ताना भी देते हैं। साथ ही तरह-तरह की बातें भी करते हैं, लेकिन इन तमाम बातों को नजरअंदाज कर वे सिर्फ अपना काम कर रही हैं।