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DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 31 Jul 2021 1:22 pm IST


एक ही गिरफ्तारी के बाद ठिठकते दिख रहे एसआईटी के कदम


हरिद्वार। हरिद्वार कुंभ के दौरान सामने आए कोरोना जांच के घोटाले में अभी तक केवल एक ही व्यक्ति की गिरफ्तारी हो पाई है इस गिरफ्तारी के बाद पुलिस के कदम भी कुछ हिचकते से दिखाई दे रहे हैं ।
इस बहुचर्चित मामले की जांच कर रही पुलिस की एसआईटी द्वारा डेलफिया लैब के मालिक आशीष वशिष्ठ की गिरफ्तारी की गई है हालांकि पुलिस अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयासों की बात भी कह रही है लेकिन पिछले कई दिनों से तेज गति से चल रही जहां सब कुछ खटकती सी दिखने लगी है जबकि इस घोटाले में फर्म और लैब के कई मालिकों का नाम सामने आ चुका है। दरअसल कुंभ मेले के दौरान एंटीजन जांच में बड़ा घोटाला किया गया था। जिसमें फर्जी एंट्रियां पोर्टल पर अपलोड कर भुगतान लिया गया है। जांच की रिपोर्ट ऐसे लोगों को भी भेज दी गई जो बताए गए दिन हरिद्वार आए ही नहीं थे इसके बावजूद उनकी जांच कैसे कर ली गई और रिपोर्ट कैसे मंगा ली गई इसे लेकर जब शिकायतें बाहर आने लगी तो पूरी दुनिया में कुंभ को लेकर काफी नकारात्मक स्थितियां बन गई थी । जब जांच की परतें खुली तो यह भी सामने आया कि कोरोना की जांच करने की जिम्मेदारी ऐसी लैब को दे दी गई थी जो इसके लिए मानक भी पूरे नहीं करती थी जांच कर टेंडर मिलने के बाद संबंधित लैब ने दूसरी एजेंसियों से मदद लेकर जांच कराई थी। घोटाला सामने आने के बाद सीएमओ डॉ एसके झा की ओर से मुकदमा शहर कोतवाली में दर्ज कराया गया है। इस पूरे प्रकरण में कुंभ मेले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी समेत कई अन्य अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। सभी की नजर इस बात पर लगी हुई है कि आशीष वशिष्ठ की गिरफ्तारी के बाद पुलिस के लंबे हाथ किस-किस प्रभावशाली व्यक्ति तक जाते हैं। गौरतलब है कि मैक्स कारपोरेट सर्विस नामक एक ऐसी लैब को कोरोना जांच का जिम्मा सौंपा गया था जिसके पास अपना लैब संबंधित तंत्र भी नहीं था उसने बाद में डॉक्टर चंदानी लैब और नलवा लैब से जुड़े लोगों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी।
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राजनीतिज्ञों के साथ खिंचवाए गए फोटो से दिखाया प्रभाव 
पूरे प्रकरण में मुख्य किरदार माने जा रहे मैक्स कारपोरेट सर्विस कंपनी के मालिक शरत पंत और उनकी पत्नी मल्लिका पंत ने पूरे प्रकरण में केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के कई नेताओं के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया पर प्रचारित कर खासा प्रभाव जमाने का प्रयास किया था। पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से लेकर प्रदेश के कई नेताओं के साथ उनके फोटो सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा का विषय बनते रहे। माना जा रहा है कि इसी प्रभाव का इस्तेमाल कर पंत दंपत्ति ने मानकों के विपरीत जाकर भी जांच का टेंडर ले लिया था। पंत दंपत्ति को इस समय हाईकोर्ट से राहत मिली हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि हाईकोर्ट से मिली राहत का समय पूरा होने के बाद पुलिस उन पर शिकंजा कस सकती है।
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15 दिन की जांच नहीं हुई पूरी 
शासन की ओर से जिला अधिकारी सी रविशंकर ने इस पूरे जांच घोटाले की जांच मुख्य विकास अधिकारी डॉ सौरव गहरवार को सौंपी थी। 15 दिन में जांच पूरी करने के आदेश दिए गए थे लेकिन डेढ़ माह से अधिक होने के बावजूद भी अभी तक जांच पूरी नहीं हो सकी है। माना जा रहा है कि पॉलिटिकल दबाव अधिकारियों पर लगातार हावी होता दिख रहा है। हालांकि एसआईटी से जुड़े अधिकारी लगातार जांच जारी रहने की बात कर रहे हैं और उनका दावा है कि जल्दी ही और भी गिरफ्तारियां की जाएंगी।