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DevBhoomi Insider Desk
• Fri, 31 Dec 2021 4:17 pm IST


कनॉट प्लेस, नया साल का स्वागत और कैबरे देखने की चाहत...


कनॉट प्लेस का लीडो रेस्तरां। नया साल आने ही वाला है। कनॉट प्लेस गुलजार है। लीडो के बाहर डांस कर रही बालाओं के ब्लैक एंड वाइट फोटो लगे हैं। इन्हें जवान, अधेड़ और उम्रदराज सभी संभव कोणों से निहार रहे हैं। उनके चेहरे के भावों को देखकर लग रहा है कि वे इस बार नए साल का स्वागत इनका कैबरे देखकर करेंगे।
है तो यह कनॉट प्लेस ही, लेकिन दृश्य तीन-चार दशक पुराना है। लीडो सुपर बाजार के आउटर सर्किल में हुआ करता था। लीडो से मिलता-जुलता मंजर कनॉट प्लेस से सटे मिंटो ब्रिज पर बने ब्लू स्टार रेस्तरां में भी रहा करता था। यहां भी दिन भर ‘स्पेशल’ और ‘वेरी स्पेशल’ कैबरे देखने को बेकरार लोग डांसर्स के फोटो देख कर अपने को धन्य महसूस कर रहे होते थे। ये बातें 1960 से 1990 के दशक के बीच की। उस दौर में तीस मिनट के शो के लिए सौ से तीन सौ रुपए की टिकट खरीदने के लिए बड़ा दिल चाहिए होता था। फिर भी इसके कद्रदान कम नहीं थे। नए साल का जश्न मनाने वाले लीडो में ही जाकर कैबरे देखने की चाहत रखते थे। उस दिन यानी 31 दिसंबर की टिकटें 10 दिन पहले ही बिक जाया करती थीं। जो लीडो में टिकट का जुगाड़ नहीं कर पाते, वे अपनी किस्मत को कोसते हुए ब्लू स्टार का रुख करते। ये दोनों अपने कैबरे डांस के लिए विख्यात और कुख्यात हुआ करते थे। लीडो संभवत: कनॉट प्लेस का पहला कैबरे डांस दिखाने वाला रेस्तरां था। यह 1950 से लेकर 1990 के दशक तक चला। वहीं ब्लू स्टार सत्तर के दशक से शुरू हुआ था। कहते हैं कि इनमें कैबरे डांस को देखने के लिए राजधानी की बहुत सी सफेदपोश हस्तियां भी आती थीं। ऐसे लोग शो शुरू होने से चंदेक मिनट देर से आते और डांस के खत्म होने से कुछ पहले निकल लेते।

यह मत समझिए कि नए साल का जश्न सिर्फ कनॉट प्लेस के आसपास ही होता था। दिल्ली के राजदूत होटल और आनंद पर्वत के कमल रेस्तरां के कैबरे के भी कद्रदान कम नहीं थे। कमल रेस्तरां में वेस्ट और नॉर्थ दिल्ली वाले दस्तक देते थे। लेकिन यहां पर कैबरे शो के दौरान किसी की मजाल नहीं थी कि कोई ओछी हरकत कर दे। आखिर कमल को चलाते थे दिल्ली में बिजनेस करने वाले हरियाणा के एमएलए देवराज दीवान। दीवान का आनंद पर्वत, करोल बाग, पटेल नगर, लिबर्टी, ईस्ट पार्क रोड वगैरह में एकछत्र राज था। अब नया साल फिर से आ रहा है। आप कभी लीडो, ब्लू स्टार और दूसरे कैबरे डांस दिखाने वाले रेस्तरांओं के आगे से गुजरिए। वहां का भूगोल ही बदल गया है। दिल्ली उस कैबरे डांस के दौर को बहुत पीछे छोड़ चुकी है।

सौजन्य से - नवभारत टाइम्स