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DevBhoomi Insider Desk
• Fri, 30 Jun 2023 12:47 pm IST


इंडियन हॉकी को कितना बदलेंगे फुलटोन


भारतीय हॉकी का अगला प्रमुख लक्ष्य हांग्जू एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतना और 2024 के पेरिस ओलिंपिक में पोडियम पर चढ़ना है। इसके लिए दक्षिण अफ्रीकी कोच क्रेग फुलटोन को लाया गया है। फुलटोन की पहली परीक्षा FIH प्रो लीग के यूरोपीय दौरे पर हुई। इस दौरे पर बहुत उत्साहजनक परिणाम तो नहीं मिले, लेकिन भारतीय टीम के खेलने के अंदाज से यह जरूर स्पष्ट हुआ कि टीम सही दिशा में आगे बढ़ रही है।

यूरोपीय टीमों की स्टाइल
भारत को ओलिंपिक में 41 सालों बाद पदक दिलाने वाले कोच ग्राहम रीड ने टीम को आक्रामक बनाया था। लेकिन इस स्टाइल में कई बार डिफेंस में बिखराव आने की संभावना बनी रहती है। फुलटोन का मानना है कि जीतने के लिए डिफेंड करना जरूरी है। असल में इस स्टाइल को यूरोपीय टीमें इस्तेमाल करतीं हैं। फुलटोन भी ओलिंपिक और विश्व कप जीतने वाली बेल्जियम टीम के साथ 2018 से 23 तक जुड़े रहे हैं, इसलिए उनकी यह सोच स्वाभाविक है। यूरोपीय दौरे पर भी टीम के इस तरह खेलने की झलक मिली। हालांकि दौरे से मात्र तीन हफ्ते पहले ही फुलटोन टीम से जुड़े थे, इसलिए टीम इस विधा में पारंगत नजर नहीं आई।

फुलटोन ने डिफेंस को मजबूती देने के लिए भारत के दिग्गज खिलाड़ी मनप्रीत सिंह को डिफेंडर के तौर पर पीछे खिलाने का फैसला किया। मनप्रीत अटैकिंग मिडफील्डर के तौर पर खेलते रहे हैं। लेकिन दौरे के आगे बढ़ने के साथ इस फैसले की अहमियत साफ दिखने लगी। मनप्रीत कहते भी हैं कि इस फैसले से मेरे खेल पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। मैंने जब राष्ट्रीय टीम जॉइन की थी, तब डिफेंडर के तौर पर ही खेलता था।

भारत ने इस दौरे पर जिन चार टीमों के खिलाफ मैच खेले, उनमें तीन की रैंकिंग उससे बेहतर थी। भारत ब्रिटेन से एक मैच जीता और एक हारा, बेल्जियम के खिलाफ भी यही स्थिति रही। पर अर्जेंटीना से उसने दोनों मैच जीते। लेकिन दौरे का सबसे कमजोर पक्ष नीदरलैंड के खिलाफ उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाना रहा और भारत को दोनों मैच हारने पड़े। इन मैचों में एक बात साफ दिखी कि कोई टीम आक्रमण पर पूरा जोर लगा दे तो भारतीय डिफेंस में खलबली मच जाती है और डिफेंस गलतियां करने लगता है।

विश्व कप में भारत के खराब प्रदर्शन की प्रमुख वजह यह रही कि हरमनप्रीत सिंह के पेनाल्टी कॉर्नर गोल में नहीं बदल पाए। लेकिन प्रो लीग में उन्होंने 14 मैचों में 18 गोल दागकर एक बार फिर अपनी धाक जमा दी है। इसमें से 16 गोल उन्होंने पेनाल्टी कॉर्नरों पर किए हैं। पर हमें विश्व कप से सबक लेकर हरमनप्रीत जैसे कम से कम दो और विशेषज्ञ ड्रेग फ्लिकर तैयार करने होंगे, ताकि हरमनप्रीत के फॉर्म में न होने का खामियाजा न भुगतना पड़े।

एशियाई खेलों में गोल्ड पर नजर
क्रेग फुलटोन की पहली चुनौती भारत को सितंबर आखिर में शुरू होने वाले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक दिलाने की है। यह स्वर्ण भारत को पेरिस ओलंपिक का टिकट दिला देगा। पर भारत के लिए यह आसान नहीं होगा, क्योंकि दक्षिण कोरिया, मलयेशिया, पाकिस्तान और जापान की मजबूत टीमें भी होंगी। भारत को अगले महीने यानी जुलाई में स्पेन का दौरा करके चार देशों के टूर्नामेंट में भाग लेना है, जिसमें स्पेन के अलावा इंग्लैंड और नीदरलैंड भी होंगे। फिर अगस्त में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में खेलना है। इसमें भारत को एशियाई खेलों की सभी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी टीमों से खेलने का मौका मिलेगा, जिससे उन टीमों की तैयारियों को भी परखा जा सकेगा।

क्रेग फुलटोन को एशियाई खेलों और पेरिस ओलिंपिक के लक्ष्य हासिल करने के लिए 40-50 खिलाड़ियों का समूह दिया गया है। इससे तात्कालिक लक्ष्य तो पाया जा सकता है पर टीम को सफलतापूर्वक आगे बढ़ने के लिए सप्लाई लाइन का बेहतर होना जरूरी है। भारतीय जूनियर टीम ने हाल ही में एशियाई चैंपियनशिप जीती है और उत्तम सिंह जैसे उम्दा खिलाड़ी सामने आए हैं। जरूरत उत्तम सिंह जैसे खिलाड़ियों का सही ढंग से ग्रैजुएशन कराने की है। इसके लिए जूनियर खिलाड़ियों को भी ज्यादा से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खिलाने की जरूरत है।

सौजन्य से : नवभारत टाइ्म्स