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• Thu, 8 Apr 2021 5:17 pm IST


माल बनाने में इस लीग का जवाब नहीं


इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल अपने 13 साल लंबे सफर में परिपक्वता हासिल करने में सफल रही है। इस दौरान टीमों की सोच में बदलाव आया। 2008 में जब यह लीग शुरू हुई थी, तब सबने ऐसे लोगों को कप्तान बनाया, जिनके पास अच्छा अनुभव था। आईपीएल के पहले संस्करण में एमएस धोनी, एडम गिलक्रिस्ट, शेन वॉर्न, वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और युवराज सिंह को कप्तानी सौंपी गई। लेकिन रोहित शर्मा 2013 में मुंबई इंडियंस के कप्तान बने और उन्होंने अपनी टीम को जबर्दस्त सफलता दिलाई। इसके बाद से फ्रेंचाइजियों ने अनुभव के बजाय सक्षम युवा कप्तानों को कमान सौंपने का सिलसिला शुरू कर दिया। इस साल नौ अप्रैल से शुरू होने वाले आईपीएल के 14वें सत्र में दिल्ली कैपिटल्स ने ऋषभ पंत को और राजस्थान रॉयल्स ने संजू सैमसन को नेतृत्व सौंपा है। पंजाब किंग्स का नेतृत्व पहले ही युवा खिलाड़ी केएल राहुल संभाले हुए हैं।
टीम की जरूरत
आईपीएल के दशक से ज्यादा लंबे सफर के बाद अब टीमें इस बात को अच्छे से जानती हैं कि उनकी जरूरत क्या है। वे नीलामी में अपनी जरूरत के मुताबिक खिलाड़ियों को लेने का प्रयास करती हैं। इसलिए नीलामी के समय बड़े नामों के पीछे दौड़ने के बजाय टीमें उपयुक्त खिलाड़ियों के पीछे जाती हैं। इसके अलावा ज्यादातर टीमों का जोर अब तेज-तर्रार युवा खिलाड़ियों को लेने पर है। यही वजह है कि स्टीव स्मिथ और हरभजन सिंह जैसे दिग्गज क्रिकेटर बेस प्राइज पर खरीदे जा रहे हैं। यानी ऐसे खिलाड़ियों का टीमों में महत्व कम हुआ है।
पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में हुए आईपीएल मुकाबलों में बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो युवा खिलाड़ी के रूप में केएल राहुल (670), श्रेयस अय्यर (519), ईशान किशन (516) और देवदत्त पडिक्कल (473) सबसे ऊपर हैं। ये सभी अभी टीम इंडिया में जगह बनाने या जगह पक्की करने के प्रयास में हैं। पिछली बार की तरह ही इस बार भी टीमों का फोकस यंग ब्रिगेड पर रहने वाला है। इन सालों में इतना जरूर हुआ है कि सभी टीमें काफी सशक्त हो गई हैं। इसलिए पहले से यह कहना मुश्किल है कि कौन सी टीम धमाल मचाएगी। कई सालों से खिलाड़ी विशेष पर भरोसा करने वाली मुंबई इंडियंस जैसी टीमें थोड़ी बेहतर स्थिति में जरूर हैं, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे अजेय हैं।
आईपीएल को इसलिए शुरू किया गया था ताकि दूर होते क्रिकेटप्रेमियों को फिर से इस खेल की तरफ आकर्षित किया जा सके। यह लीग इस प्रयास में तो सफल हुई ही, अब यह क्रिकेट की सबसे मालामाल लीग भी हो गई है। इतना ही नहीं, यह बीसीसीआई की कमाई का भी प्रमुख स्रोत है। इससे बीसीसीआई हर साल लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाती है। मतलब यह कि आईपीएल में प्रति मैच 80 करोड़ रुपये के करीब राजस्व मिलता है। इस मामले में वह अमेरिकी एनएफएल, इंग्लिश प्रीमियर लीग और ला लिगा से ही पीछे दिखती है। लेकिन ये लीगें साल में ज्यादातर समय चलती रहती हैं। इनके मैचों की संख्या काफी ज्यादा है।
वहीं, क्रिकेट की लीग को लंबे समय तक आयोजित करना संभव नहीं है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का ढांचा द्विपक्षीय क्रिकेट पर आधारित है और बीच-बीच में आईसीसी टूर्नामेंटों का भी आयोजन होता रहता है। आईपीएल के लिए आईसीसी ने कोई विंडो तो नहीं दी है, पर इतना जरूर है कि अब देशों ने इसके आयोजन के समय पर सीरीज आयोजित करना काफी कम कर दिया है।
दुनिया में वैसे तो कई टी-20 लीगों का आयोजन हो रहा है, पर आईपीएल जैसी ख्याति अन्य किसी लीग की नहीं है। इसका कारण है इसमें भरपूर पैसा होना। खिलाड़ी इसमें शामिल होकर अपने को सम्मानित ही महसूस नहीं करते, इसे अपनी कमाई का प्रमुख साधन भी मानते हैं। यही वजह है कि कई बार खिलाड़ी राष्ट्रीय जिम्मेदारी को छोड़कर इसमें शिरकत करते हैं। कई खिलाड़ियों ने इसमें शामिल होने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास तक ले लिया है। इसी बार का उदाहरण लें तो दक्षिण अफ्रीका की आजकल पाकिस्तान के साथ सीरीज चल रही है, लेकिन क्विंटन डिकॉक, कगिसो रबाडा, लुंगी एनगिडी, डेविड मिलर और एनरिच नोर्ट्जे जैसे खिलाड़ी उस सीरीज को छोड़कर आईपीएल में भाग लेने आ गए हैं। गनीमत है कि दक्षिण अफ्रीका के कोच मार्क बाउचर ने इसे पॉजिटिव रूप में लिया और कहा कि इन खिलाड़ियों के आईपीएल में खेलने से साल के आखिर में भारत में ही होने वाले टी-20 विश्व कप की तैयारी हो जाएगी और हमें पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में अपनी बेंच स्ट्रेंथ का भी सही अंदाजा हो जाएगा। इस संबंध में इंग्लैंड के टी-20 कप्तान ईयोन मॉर्गन कहते हैं कि क्रिकेट प्रशासकों को दस साल का कार्यक्रम इस तरह से तैयार करना चाहिए कि किसी क्रिकेटर को अपने देश के बजाय इन लीगों को वरीयता न देनी पड़े।
कोरोना का साया
पिछले साल कोरोना की वजह से आईपीएल यूएई में आयोजित किया गया। इस बार उम्मीद की जा रही थी कि मैच शुरू होने तक कोरोना काबू में आ चुका होगा। मगर ऐसा नहीं हो सका। इस बार इसका आयोजन छह शहरों- मुंबई, चेन्नै, बेंगलुरु, अहमदाबाद, दिल्ली और कोलकाता में किया जा रहा है। शुरुआती मैच मुंबई और चेन्नै में खेले जाने हैं। ये दोनों ही शहर कोरोना की दूसरी लहर का शिकार हैं। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 9 अप्रैल को पिछली चैंपियन मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर के बीच उद्घाटन मैच खेला जाना है लेकिन स्टेडियम की तैयारियों में जुटे करीब डेढ़ दर्जन कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। यह रफ्तार बढ़ने पर आयोजन के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। हालांकि मुंबई क्रिकेट असोसिएशन और बीसीसीआई आईपीएल आयोजन को लेकर प्रतिबद्ध हैं। वैसे भी खिलाड़ियों के एक बार बायो बबल में चले जाने पर कोरोना संबंधी समस्याओं का काफी हद तक निवारण हो जाता है।
लेखकः मनोज चतुर्वेदी