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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 19 Jul 2023 12:56 pm IST


क्या हारी हुई बाजी है उम्र बढ़ाने की कोशिश


दुनिया में ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें मौत से ज्यादा लोगों के सामने भाषणबाजी से डर लगता है। लेकिन मौत हमारी नियति है, जिसके टलने का अभी तक कोई रास्ता नहीं निकल सका है। वैसे, इधर उम्र बढ़ाने पर काफी रिसर्च हुई है। इससे ऐसी तकनीकें सामने आई हैं, जो सेहतमंद और लंबी जिंदगी की आशा पैदा करती हैं। दुनिया में इस सिलसिले में जो स्टडी हुई हैं, उनमें लंबी उम्र के लिए कई फैक्टर्स और नए उपायों का जिक्र है। इस बायोहैकिंग कहा जा रहा है। इसे लेकर एक सोच यह है कि शरीर और मन के लिए थोड़ा-बहुत स्ट्रेस अच्छा होता है। कुछ इसके लिए एक्सरसाइज करते हैं तो कुछ बर्फ से नहाकर या हाइपरबेरिक चेंबरों में यह तनाव पाते हैं।

ऑक्सिजन की कमी
ऊंचाई पर जहां ऑक्सिजन कम होती है, वहां इंसान के टिशूज में भी ऑक्सिजन कम हो जाती है। इसे हाइपोक्सिया कहते हैं, जिससे छुटकारा पाने के लिए शरीर लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ाने लगता है। हाइपोक्सिया के अहसास के लिए ऐसे मुखौटे बनाए गए हैं, जिन्हें पहनने से सांसों में ऑक्सिजन की मात्रा कम हो सकती है। इस तरह के दखल प्रोग्रेस इंडिकेटरों के साथ ही यूजफुल होते हैं। जो लोग इसे अपने हिसाब से करना चाहते हैं, उनके लिए इसमें कई ऑप्शन होते हैं। हालांकि ऐसी चीजें अपनाते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। हो सकता है, इनसे जिंदगी कुछ लंबी हो जाए। लेकिन जिंदा रहने और पूरी तरह से स्वस्थ शरीर के साथ जिंदा रहने वाले कुल वर्षों के बढ़ने का यह मतलब नहीं है कि बढ़े हुए इन कुछ सालों में हेल्थ अच्छी ही रहेगी। मसलन, जीवनकाल 70 से बढ़कर 80 वर्ष हो सकता है। वहीं, हेल्दी लाइफ 62 से 72 साल तक ही होगी। लेकिन तब भी इसका यही अर्थ निकलता है कि आखिर के आठ साल स्वस्थ हों यह जरूरी नहीं। लेकिन इस गैप को कम करके दिखाने वाला कोई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में इन कवायदों से जुड़ी कोई भी चीज इस खास डिटेल को नजर में रखते हुए ही पढ़ी जानी चाहिए।


फायदे साफ नहीं
उम्र बढ़ाने वाली अच्छी आदतों से इतर इन कवायदों से मिलने वाले फायदे साफ नहीं हैं। उचित आहार, रोज कसरत, पूरी नींद, नशे से परहेज और स्ट्रेस मैनेजमेंट स्वस्थ जीवन का मुख्य आधार हैं। इनमें से हरेक का अपना-अपना काम है। इन सबसे अलग लाइफ बढ़ाने वाली पहल का बड़े समूह को फायदा नहीं पहुंचा है। यानी, इसका फायदा बड़ी संख्या में लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। आंकड़े यह भी इशारा करते हैं कि जीवन के मुख्य आधार भी लाइफ बढ़ाने में उतने कामयाब नहीं हैं। फिर भी, आम लोगों को यह जानना चाहिए कि उम्र बढ़ाने की हरेक कवायद की बड़ी कीमत अदा करनी पड़ती है, चाहे वो आर्थिक हो या मनोवैज्ञानिक।

सहज ज्ञान के खिलाफ
दार्शनिक नजरिए से देखें तो स्वस्थ लंबे जीवन की तलाश के पीछे फ्रीडम की ख्वाहिश भी है। परम स्वतंत्रता उम्र के साथ आने वाली मुसीबतों से निपटने और उन्हें मैनेज करने की क्षमता होती है। फिर भी स्वतंत्रता का यह नजरिया बताता है कि चीजों को अपने हिसाब से ढालने की ऐसी कोशिशें सहज ज्ञान के खिलाफ हैं। सच तो यही है कि उम्र बढ़ाने की ऐसी कोशिशें हारी हुई बाजी हैं।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स