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• Tue, 2 Jan 2024 1:54 pm IST


सैलरी का सच


खुश है जमाना आज पहली तारीख है…ये गाना कभी सुपरहिट था। एक जमाने में लोग अक्सर इस गाने को तब गाते थे, जब सैलरी मिलती थी। गाना एक मेसेज था कि सैलरी का बड़ा इंतजार रहता था। तब लोगों को सैलरी की नस-नस का पता होता था। सैलरी में कब क्या नया जुड़ सकता है, क्या घट सकता है। किस हिस्से पर सरकार नए नियम बना रही है, पुराना नियम किस साल खत्म हुआ था। लगभग हर कर्मचारी सैलरी का एनसाइक्लोपीडिया होता था। अब वक्त बदल चुका है।

पहले सैलरी में बेसिक, महंगाई भत्ता, हाउस रेंट जैसी चुनिंदा चीजें हुआ करती थीं। अब कॉस्ट टु कंपनी में दसियों टुकड़े हैं। बहुत कम लोग मिलते हैं, जिन्हें हर टुकड़े की पूरी समझ है। जो हिस्सा हाथ में आता है, लोग उसे ही असली सैलरी समझते हैं। दूसरों को भी वही बताते हैं। आज कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें कभी सैलरी का इंतजार नहीं होता। उनकी कमाई और खर्च का चक्र बिल्कुल अलग होता है। कुछ लोग सैलरी में क्या मिला, क्या नहीं। इसका कोई हिसाब किताब नहीं रखते। सैलरी में भी कई बार अलग-अलग कारणों से छोटी-मोटी कटौती हो जाती है। इस कटौती को बहाल कराने की गुंजाइश होती है, लेकिन कुछ लोग यही कहते हैं कि पैसे कट जाते हैं, लेकिन क्यों, इसका पता नहीं चल पाता।

सैलरी मिलने के बाद लोग सबसे पहले लोग बेसिक जरूरतों को पूरा करते हैं। फिर शौक की बारी आती है। आखिर में जब भविष्य की बचत का सवाल आता है, तब जेब खाली हो चुकी होती है। ये तीनों हिस्से जिंदगी के लिए जरूरी हैं। इनका अनुपात तय किया जा सकता है। अक्सर कहा जाता है कि सैलरी मिलने पर भविष्य की बचत वाले हिस्से को सबसे पहले अलग कर लेना चाहिए। फिर बेसिक जरूरतों और शौक के लिए रकम का आवंटन किया जा सकता है।

वित्तीय मामले जटिल हैं, ये कहकर नहीं बचा जा सकता है। अब सवाल है कि इसके लिए जरूरी ज्ञान कैसे मिले। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कई कंपनियां इन दिनों अपने कर्मचारियों को वित्तीय जानकारियों के प्रति जागरूक कर रही हैं। यहां तक कि अडवाइजर मुहैया कराए जा रहे हैं, ताकि सही फैसले लेने में मदद मिल सके। एक वर्ग निवेश के प्रति तो जागरूक है,  लेकिन वह ऊंचे मुनाफे की चाह में इस तरह के प्रॉडक्ट्स में पैसा लगा देता है, जो नुकसानदेह साबित होता है। हाल में क्रिप्टोकरंसी में युवाओं के साथ यही देखा गया। अक्सर देखने में आता है कि म्यूचुअल फंड के मुकाबले लोगों की दिलचस्पी स्टॉक ट्रेडिंग में ज्यादा होती है। बिना बाजार की बारीकियों को समझे किसी के दिए टिप्स पर बाजार में निवेश कर दिया जाता है। पैसा कमाना ही काफी नहीं, उसे बचाना और सही जगह काम पर लगाना भी जरूरी है।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स