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• Sat, 2 Dec 2023 1:49 pm IST


मनौती की बूंदी


आज तोताराम थोड़ी देर से आया। आते ही सीधा हमारे कमरे में।

बोला- हाथ फैला।

हमने कहा- अभी यह हालत नहीं आई है कि किसी के सामने हाथ फैलाएं । अभी तो पुरानी सरकार की कृपा से पुरानी पेंशन मिल रही है और दाल रोटी चल रही है । हाँ, अगर अटल जी के समय में नौकरी लगे होते और नई पेंशन के चक्कर में आ जाते तो आज बैठे होते दिल्ली की सड़कों पर ओ. पी. एस. (ओल्ड पेंशन स्कीम) की फ़रियाद लेकर।

बोला- इस देश में यह नौबत किसी के साथ नहीं आई है । आज भी 80 करोड़ लोग गर्व से सिर उठाकर प्रभुओं के फ़ोटो छपे थैलों में पाँच-पाँच किलो अनाज लाते हैं और सरकार के गुण गाते हैं । अगर जरूरत पड़ी तो 140 करोड़ को भी गर्व से घर बैठे खिलाएंगे । लेकिन मैं तो शुद्ध देशी घी की बूंदी का हनुमान जी का प्रसाद लाया हूँ।

हमने श्रद्धा से हाथ फैलाया और तोताराम ने हमारे हाथ पर चार-पाँच बूंदी के दाने रख दिए।

हमने कहा- प्रसाद है इसलिए रख रहे हैं अन्यथा ये तो दाढ़ से चिपक कर ही रह जाएंगी। वैसे तोताराम ऐसी भी क्या कंजूसी ! लोग तो दीवाली पर लाखों दीये जलाते हैं, रिकार्ड बनाते हैं, अपने प्रिय नेताओं के जन्म दिन पर करोड़ों के विज्ञापन छपवाते हैं , लाखों के पटाखे चलाते हैं।

बोला- वे यह सब या तो सरकारी पैसे से करते हैं या फिर सरकारी खजाने को चूना लगाकर खुरचे धन से करते हैं। कोई अपनी मेहनत की कमाई से कुछ नहीं करता ।किसानों की आय दुगुनी हुई हो या नहीं लेकिन मैंने तो प्रसाद के बजट में 64 गुना वृद्धि कर दी है । बचपन में पाँच पैसे का प्रसाद लगाया करते थे अब पाँच रुपए का लगाया है । चिरंजी हलवाई की दुकान से दो सौ रुपए किलो के हिसाब से पाँच रुपए की पूरी 25 ग्राम बूंदी लाया हूँ।

इस देश में आजकल सबसे बड़ा खतरा है किसी की भावना आहत होने से हो जाता है । पता नहीं कब किसी की भावना आहत हो जाए और पुलिस हमें जेल में डालकर मृत्यु पर्यंत जमानत ही न होने दे ।हालांकि तोताराम से ऐसा कोई खतरा नहीं है फिर भी हमने तोताराम की भावना का आदर करते हुए माथे से छुआकर प्रसाद मुँह में रखा और पूछा- अभी तक तो दीवाली पर केन्द्रीय कर्मचारियों को मोदी जी द्वारा दिया जाने वाला 4% डीए का तोहफा भी नहीं आया फिर यह प्रसाद किस उपलक्ष्य में है ?

बोला- मनौती—–

हमने तोताराम के मुँह पर हाथ रखते हुए कहा- पनौती ? बस, खबरदार अब आगे एक भी शब्द बोला तो । लोगों ने इस देश की भाषायी गरिमा और शालीनता का जो सत्यानाश किया है उसे अब हम और बर्दाश्त नहीं करेंगे ।

बोला- जर्सी गाय, पचास करोड़ की गर्ल फ्रेंड, कटुआ, भड़ुआ कहा गया था तब तेरे संस्कार कहाँ गए थे जो अब पायजामे से बाहर हुआ जा रहा है । अब कोई अच्छी सी हियरिंग ऐड खरीद ले । फोन तक में विज्ञापन आते रहते हैं ।भले आदमी मैं ‘पनौती’ नहीं ‘मनौती’ कह रहा हूँ ।

हमने कहा- क्या बताएं, आजकल सब तरफ बकवास, वादे और गली गली में सारे दिन जिस तिस जनसेवक के लिए लिए फुल वॉल्यूम पर केसेट बजाते घूमते ऑटो के कारण कान भी कुछ खराब हो गए लगते हैं । वैसे लोगों को मोदी जी के लिए ‘पनौती’ जैसे घटिया शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

हमारा तो व्यक्तिगत रूप से अब भी मानना है कि अगर मोदी जी सही समय पर स्टेडियम पहुँच जाते तो मैच का रुख पलट सकते थे लेकिन क्या करें एयरपोर्ट से स्टेडियम तक ट्रेफिक ही इतना था और फिर हो सकता है एम्बुलेंसों को साइड देने के चक्कर में देर हो गई हो। अब कोई सेवक इतना संवेदनहीन हो भी कैसे सकता है कि एक मैच जितवाने भर के लिए किसी मरीज की जान खतरे में डाल दे । वैसे सबने देखा है कि कैसे उत्साह बढ़ाकर नीरज चोपड़ा से भाला फिंकवा दिया, कैसे इसरो वालों का उत्साह बढ़ा बढ़ाकर चंद्रयान सफल करवा दिया !

वैसे इतना खर्च करके यह ‘मनौती’ तूने मांगी किस बात के लिए थी ?

बोला- आज से आस्ट्रेलिया और इंडिया की 20-20 सीरीज शुरू हो रही है ना । न सही वर्ल्ड कप, 20-20 में जीत से ही काम चला लेंगे ।

हमने कहा- वैसे तो आजकल सब अपने मन की ही बात करते हैं, कोई किसी की सुनता नहीं है फिर भी यदि हो सके तो हमारी यह बात ऊपर पहुंचा दे कि सीरीज से पहले स्टेडियम के वास्तु की जांच करवा ली जाए और खिलाड़ियों की ग्रह दशा दिखवा ली जाए ।

बोला- यह खेल है और खेल में ग्रह-नक्षत्र नहीं शारीरिक, मानसिक मजबूती और खेल की क्षमता चाहिए । हालांकि 1 दिसंबर 2021 से बिहार के दरभंगा में देश का ऐसा पहला अस्पताल शुरू हुआ है जहां पैथोलॉजी रिपोर्ट नहीं बल्कि जन्म कुंडली देखकर आपका इलाज किया जाता है. इलाज के लिए मंत्र और उपासना का सहारा लिया जाता है ।

हमने कहा- वैसे तोताराम, अगर कोरोना, नोटबंदी और तालाबंदी को छोड़ दिया जाए तो शुरू शुरू में तो जिसे ‘पनौती’ कहा जा रहा है उसके भाग्य से अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल के भाव कम हुए तो थे ।

बोला- ये सब ‘काकतालीय न्याय’ हैं । कौए का बैठना और डाल का टूटना ।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स