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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 23 Nov 2023 3:11 pm IST


पेशे का सम्मान बचाना होगा


उस पेशे के प्रति सम्मान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि काले कोट और नेकबैंड पहने शख्स को लोग उसके नाम से पुकारने के बजाय ‘वकील साहब’ ही कहते आए हैं। लेकिन ज़रा सोचिए, वह हालात क्या होंगे जब इलाहाबाद हाईकोर्ट को यूपी बार काउंसिल को यह कहना पड़ा है कि वह कोर्ट के बाहर वकीलों को यूनिफॉर्म पहनने पर रोक के दिशा-निर्देश जारी करे। वैसे यह स्थापित सत्य है कि कोई व्यक्ति हो, पद हो या पेशा वह अपने कृत्य एवं आचरण के जरिए प्रतिष्ठा कमाता भी है और कृत्य एवं आचरण के जरिए गंवाता भी है। हाईकोर्ट को बार काउंसिल से कोर्ट के बाहर यूनिफार्म पहनने से रोकने के लिए इसलिए कहना पड़ा कि एक केस की सुनवाई के दौरान उसके समक्ष यह तथ्य आए कि कोर्ट के बाहर जमीन आदि से जुड़े विवाद में वकील अपनी यूनिफॉर्म में मौके पर पहुंचते हैं और फिर अपने पेशे का दबाव बनाने की कोशिश करते हैं।

वैसे यह पहला मौका नहीं है, जब वकीलों पर कोर्ट की तरफ से अंगुली उठी है। दो साल पहले तो इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ तो और भी ज्यादा सख्त टिप्पणी कर चुकी है-‘ ऐसा लगता है कि कुछ वकीलों का संगठित समूह धन उगाही, मनी लांड्रिंग व ब्लैकमेलिंग इत्यादि असामाजिक गतिविधियों में लिप्त है। ऐसे ब्लैक शीप को वकालत के पेशे को बदनाम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।’ ऐसा भी नहीं कि वकीलों को लेकर ऐसी तल्ख टिप्पणियां सिर्फ यूपी में आई हों, अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग राज्यों में भी कोर्ट ने वकीलों के आचरण के प्रति तल्खी दिखाई है। यहीं से वकीलों के लिए यह सोचने का मौका है कि उनके पाले में गड़बड़ कहां हो रही है? जब-जब भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें वकीलों के आचरण पर सवाल उठे हैं, बचाव में तर्क आया है कि कुछ वकीलों के व्यक्तिगत आचरण को लेकर पूरे पेशे पर अंगुली नहीं उठाई जा सकती। बेशक पूरे पेशे पर अंगुली नहीं उठानी चाहिए लेकिन इतना तो मानना ही पड़ेगा कि जैसे एक मछली पूरे तालाब के पानी को गंदा कर देती है, वैसे ही कुछ कुछेक का ही सही लेकिन पूरे पेशे पर उंगली उठ रही हैं। खास तौर पर जिला-तहसील स्तर के वकीलों को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें आ रही हैं।


बार काउंसिल से लेकर वकीलों के जो भी संगठन हैं, उन्हें देखना होगा, अगर शिकायतें आ रहीं हैं तो क्यों आ रही हैं? इसमें कोई शक नहीं कि हाल फिलहाल में जमीन-जायदाद से जुड़े विवादों में वकीलों की सहभागिता की शिकायत सबसे ज्यादा आ रही है। यह शिकायतें भी आम होती जा रही हैं कि जमीन-जायदाद से जुड़े विवादों में वकीलों की रूचि कोर्ट से बाहर सेटलमेंट कराने में बढ़ रही है। कई घटनाएं तो ऐसी भी सामने आई हैं, जहां वकीलों के प्रदर्शन के दौरान बहुत कुछ ऐसा घटित हुआ, जिसकी वकील जैसे गंभीर पेशे के लोगों से कल्पना भी नहीं की जा सकती। हालांकि हर घटना के बाद वही तर्क आया कि हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग वकील नहीं थे बल्कि वकील के भेष में असामाजिक तत्व रहे होंगे। हो सकता है, ऐसा रहा भी हो लेकिन बदनामी की कालिख तो वकालत के पेशे को लगी। आप किसी भी पेशे में हो लेकिन अपने कार्यक्षेत्र के बाहर यूनिफॉर्म पहनने के लिए किसी को रोकने की जरूरत नहीं समझी गई लेकिन अगर वकीलों के लिए ऐसा करना हाईकोर्ट को मजबूरी लग रहा है तो वकील संगठनों को अपने बीच वकील की ड्रेस में छुपे उन लोगों को पहचान कर अलग करने की जरूरत है, वर्ना ऐसी शर्मिंदगी का सबब उनके हिस्से आ रहा, जहां उनके लिए समाज से नजरें मिलाना मुश्किल हो जाएगा।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स