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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 29 Dec 2021 5:28 pm IST


योगी की सत्‍ता वापसी के नुकसान


उत्‍तर प्रदेश समेत पांच राज्‍यों के चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने वाले हैं। इन राज्‍यों में सबसे महत्‍वपूर्ण राज्‍य है उत्‍तर प्रदेश, जहां इस समय योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में भाजपा की सरकार है। यूपी की हार और जीत तय करेगी कि 2024 में ऊंट किस करवट बैठेगा। केंद्र की कुर्सी उत्‍तर प्रदेश से होकर जाती है, और 2014 एवं 2019 के आम चुनावों ने इस बात को साबित भी किया है। उत्‍तर प्रदेश पर उन पार्टियों की नजर भी है, जिनका यूपी की सियासत से कोई लेना-देना नहीं है, पर दूसरे राज्‍यों में भाजपा की विरोधी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद विपक्षी दलों के सर्वाधिक निशाने पर उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ हैं।

कड़क, ईमानदार एवं अपराध विरोधी छवि की बदौलत पांच साल सरकार चलाने के बावजूद योगी के खिलाफ सत्‍ता विरोधी लहर नजर नहीं आ रही है। उत्‍तर प्रदेश को लेकर हुए कई सर्वे में आंकड़े अब भी भाजपा और योगी आदित्‍यनाथ के पक्ष में हैं। पांच साल सरकार चलाने के बाद भी मुख्‍यमंत्री के रूप में योगी जनता की पहली पसंद बने हुए हैं। हालांकि मुट्ठीभर, लेकिन ताकतवर लॉबी हर मुमकिन कोशिश में जुटी है कि योगी आदित्‍यनाथ की सत्‍ता में वापसी ना हो। भाजपा की वापसी हो भी तो योगी आदित्‍यनाथ किसी कीमत पर मुख्‍यमंत्री ना बनें। बड़ा सवाल है कि आखिर ये कौन लोग हैं, जो भाजपा से ज्‍यादा बड़ा दुश्‍मन योगी आदित्‍यनाथ को मानकर उन्‍हें सत्‍ता से बेदखल करने में जुटे हुए हैं!

इस ताकतवर लॉबी के इको सिस्‍टम को समझना है तो फिर आपको साल 1985 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दिये गये उस वक्‍तव्‍य को याद करना होगा, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि सरकार की तरफ से भेजे जाने वाले एक रुपये में मात्र पंद्रह पैसे ही जनता तक पहुंच पाते हैं, शेष पच्‍चासी पैसे सिस्‍टम के भ्रष्‍टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। यह पच्‍चासी पैसे को खा जाने वाले लोग ही नहीं चाहते कि योगी दुबारा सीएम के रूप में उत्‍तर प्रदेश में वापसी करें। पच्‍चासी पैसे के लीकेज को रोकने की वजह से ही योगी आदित्‍यनाथ मजबूत लॉबी के निशाने पर हैं, जिसमें उत्‍तर प्रदेश के नौकरशाहों से लेकर सत्‍ता की दलाली में मुंह काला करने वाले लॉबिस्‍ट, पत्रकार, नेता, बिल्‍डर, व्‍यवसायी तक शामिल हैं, जिनकी भ्रषटाचार की कमाई किसी ना किसी तरह से प्रभावित हुई हैं।

योगी ने ऐसे लोगों को भी अपने से दूर रखा है, जिसके चलते बीते साढ़े चार साल में उन पर भ्रष्‍टाचार का एक आरोप तक नहीं लग पाया है। डीबीटी यानी डाइरेक्‍ट बेनफिट ट्रांसफर के जरिये योगी ने पच्‍चासी पैसे निगल जाने वालों को दरकिनार कर दिया है। अखिलेश यादव की सरकार में जो उत्‍तर प्रदेश डीबीटी यानी लाभार्थी के खाते में सीधे धनांतरण के मामले में फिसड्डी हुआ करता था, योगी ने उस राज्‍य को टॉप टू में लाकर खड़ा कर दिया है। 85.2 प्‍वाइंट के साथ सर्वाधिक जनसंख्‍या वाला राज्‍य उत्‍तर प्रदेश डीबीटी के मामले में दूसरे स्‍थान पर है, जबकि ढाई करोड़ आबादी वाला हरियाणा 88.8 प्‍वाइंट के साथ पहले स्‍थान पर है। देश के सर्वाधिक जनसंख्‍या वाले पांच राज्‍यों में महाराष्‍ट्र 26वें, बिहार 9वें, पश्चिम बंगाल 36वें तथा मध्‍य प्रदेश 10वें स्‍थान पर है। टॉप दस में भी झारखंड को छोड़कर शेष एनडीए या भाजपा शासित राज्‍य ही शामिल हैं। डबल इंजन की सरकार का फायदा डीबीटी में साफ नजर आता है। जिस केरल का डंका पीटकर एक वर्ग रागदबारी गाता है, वह राज्‍य भी डीबीटी के मामले में टॉप ट्वेंटी से बाहर फिसड्डी राज्‍यों की लिस्‍ट में शामिल है।

डीबीटी के मजबूत एवं पारदर्शी तंत्र के जरिए उत्‍तर प्रदेश ने भ्रष्‍टाचार करने वाले अधिकारियों-नेताओं-दलालों के सिंडिकेट को पूरी तरह हाशिये पर डाल दिया है। योगी आदित्‍यनाथ के इसी कदम के चलते वह लॉबी नाराज है जो पिछली सरकारों में जनता के लाभांश हिस्‍से का बड़ी रकम गटक जाती थी। इस वर्ग को बसपा या सपा की सरकार में इस तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता था इसलिये यह लॉबी पूरी तरह प्रयासरत है कि योगी की वापसी ना हो। योगी सरकार ने चालू वित्‍तीय वर्ष में अब तक 75, 984 करोड़ रुपये सीधे लाभार्थियों के खाते में आंतरित कर पच्‍चासी पैसे खा जाने वाली आबादी को नाराज कर दिया है। योगी ने भ्रष्‍टाचार की भेंट चढ़ जाने वाली ज्‍यादातर योजनाओं में सरकारी सिस्‍टम के सीधे हस्‍तक्षेप को खत्‍म कर दिया है। अब लाभार्थी को एक बार डीबीटी में रजिर्स्‍ड हो जाने के बाद ना तो किसी विभाग का चक्‍कर काटना है और ना ही किसी सरकारी कर्मचारी-अधिकारी के दर पर भटकना है।

योगी सरकार ने बीते पांच सालों में भ्रष्‍ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए उन्‍हें सेवा से बर्खास्‍त करने तक का कठोर कदम भी उठाया है, जिसने जनता को बहुत राहत दी है। संभावना है कि अगर योगी दुबारा सत्‍ता में वापसी करते हैं तो इन सुधारों का दायरा और बढ़ायेंगे, इसी वजह से भ्रष्‍टाचार का इको सिस्‍टम और इससे जुड़े लोग किसी भी कीमत पर उनकी वापसी नहीं होने देना चाहते हैं। ये लॉबी जानती है कि योगी की सत्‍ता में वापसी का सीधा मतलब है कि अब भी सिस्‍टम में जो लीकेज बचे हैं, उन पर भी आफत आना तय हो जायेगा। बीते एक साल से योगी आदित्‍यनाथ को कुर्सी से हटाने से लेकर उनके पर करतने, कैबिनेट सहयोगियों से छत्‍तीस का आंकड़ा बताकर उनके खिलाफ माहौल बनाने, उनकी छवि को ध्‍वस्‍त किये जाने की कोशिश लगातार जारी है। संभव है कि यह प्रयास विधानसभा चुनाव के रिजल्‍ट आने के बाद तक भी जारी रहे।

सौजन्य से - नवभारत टाइम्स