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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 12 Apr 2022 2:20 pm IST


व्यंग्यः सबसे खतरनाक सपने


कलाम साहब का एक वाक्य है जो कई तरह से उद्धृत किया जाता है लेकिन उसका भाव यही है कि सपना वह नहीं जिसे देखने के लिए आप सोते हैं बल्कि सपना वह होता है जो आप जागते हुए देखते हैं और जो आपको सोने नहीं देता.

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने पूछा- तोताराम, सपना क्या होता है ?

बोला- सपना वह दुष्कृत्य होता है जो रात का चौकीदार देखता है. जिसके लिए उसे दण्डित किया जाना चाहिए.

हमने कहा- यह स्पष्ट उत्तर नहीं है.

बोला- ऐसे प्रश्नों के ऐसे ही उत्तर होते हैं.

हमने कहा- वैसे यह चौकीदार का सपना क्या है ?

बोला- एक बार एक राजा के रात के एक चौकीदार ने सपना देखा कि राजा जिस कमरे में सो रहा है उसकी छत गिर गई है. सुबह उसने राजा को यह सपना बताया. राजा ने अपना सोने का कमरा बदल लिया. संयोग से उसी रात उस कमरे की छत गिर गई. राजा की जान बच गई. अगले दिन राजा ने उसे बहुत इनाम दिया और नौकरी से भी हटा दिया क्योंकि वह रात को अपनी ड्यूटी में सो रहा था. ड्यूटी में कोताही.

हमने कहा- लेकिन कलाम साहब तो कहते हैं कि सपना वह होता है जो आपको सोने नहीं देता.

बोला- कलाम साहब को क्या पता ? छड़े आदमी. सोयें या जागें, क्या फर्क पड़ता है. जागते रहे, सपने देखते रहे.उन्हें साकार करने की कोशिश करते-करते, सार्थक जीवन जीते-जीते चले गए. ऋषियों वाली विदाई. लेकिन सबसे खतरनाक सपना वह होता है जो दूसरों को नहीं सोने देता.

हमने कहा- अब यह कौनसा सपना आ गया ?

बोला- यह वह सपना होता है जिसे देखने के बाद राजा अपनी प्रजा को सोने नहीं देता. थोड़ी-थोड़ी देर बाद जनता को जगाकर खुद नींद निकाल लेता है. जैसे चतुर चौकीदार रात को बारह-एक बजे मोहल्ले में सबकी खिड़कियों के पास जाकर जोर से आवाज़ लगाता है- जागते रहो. जब सब जाग जाते हैं तो वह खुद अपने केबिन में जाकर दो घंटे सो लेता है. दो घंटे बाद फिर सबको जगाकर खुद सो जाता है.

हमने कहा- तोताराम, आज हमने इन सबसे अधिक खतरनाक सपने के बारे में पढ़ा है. पाकिस्तान का समाचार है कि डेरा इस्माइल खां में तीन महिला शिक्षकों ने तेज़ धारदार हथियार से अपनी एक पूर्व सहयोगी की इसलिए हत्या कर दी कि उनकी रिश्तेदार एक किशोरी ने सपना देखा कि उस महिला ने ईश निंदा की है.

न कोई अदालत, न प्रमाण, न जिरह, न सफाई. और सही अर्थों में पीड़ित ‘ईश’ ने किसी को अपनी रक्षा के लिए नहीं पुकारा. उसे कोई शिकायत नहीं थी.

और मज़े की बात यह कि हत्या करने वाली शिक्षिकाएं है. क्या पढ़ाती होंगी वे अपने विद्यर्थियों को ? विद्या तो अज्ञान, कुंठाओं और विकारों से मुक्ति देने वाली होती है.

बोला- मास्टर, ईश्वर की ठेकेदारी की यह बीमारी क्या केवल इस्लाम धर्म में ही है ? ईसाई इसे ब्लासफेमी कहते हैं. पिछले दिनों स्वर्ण मंदिर में ग्रन्थ साहब की बेअदबी के लिए एक व्यक्ति को निबटा दिया गया. हिन्दू धर्म के किसी उत्साही को किसी के फ्रिज में किसी पूजनीय पशु का मांस दिखाई दे गया तो हत्या ज़रूरी हो गई, किसी को खरीदकर गाय ले जाने वाले किसी धर्म विशेष के व्यक्ति की नीयत पर शक हो गया तो त्वरित चल अदालत लगाकर फैसला सुना दिया.

जब सत्ता का समर्थन हो तो किसी के हिजाब में भी व्यापक विनाश के हथियार ढूँढ़े जा सकते हैं.

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स