सरकार ने टूटे हुए चावल के निर्यात के लिए अब 30 सितंबर तक की मंजूरी दे दी है। पर यह कुछ निश्चित परिस्थितियों में ही किया जा सकेगा। सरकार की ओर से जारी नए निर्देशों के मुताबिक उन्हीं टूटे हुए चावल के खेप को निर्यात की अनुमति 30 सितंबर तक होगी जिनकी लोडिंग बैन लगाने का निर्णय आने से पहले जहाज पर हो गई थी या जहां शिपिंग बिल दायर कर दिया गया है और जहाज पहले ही लोडिंग के लिए पहुंचकर भारत में लंगर डाल चुके हैं।
विदेश व्यापार महानिदेशालय की एक नई अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि जिन मामलोंं में बंदरगाहों और उनके रोटेशन नंबर आवंटित कर दिए गए हैं और जहां टूटे हुए चावल की खेप सीमा शुल्क विभाग को सौंप दी गई है और उनकी प्रणाली में पंजीकृत हो चुकी है उन्हें ही निर्यात की अनुमति मिलेगी। इससे पहले टूटे चावल के निर्यात के लिए 15 सितंबर तक की समयसीमा तय की गई थी। बता दें कि बीते नौ सितंबर को भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। टूटे चावल के निर्यात नीति को ‘मुक्त’ से ‘निषिद्ध’ के रूप में संशोधित किया था। टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष खरीफ सीजन में धान की कुल बुआई का क्षेत्रफल कम हो गया है इसका असर फसल के उत्पादन और कीमतों पर भी पड़ सकता है।