रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों के छोटे कर्ज में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिल रही है। यही वजह है कि 10,000 से 50,000 रुपये तक के पर्सनल लोन में 48 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। वह भी तब, जब बैंकों की कुल उधारी 15 फीसदी से कम है। इन छोटे कर्जों के डूबने का जोखिम ज्यादा है, जिसे लेकर आरबीआई ने बैंकों को चेतावनी भी दी है।
कम आय वाले ग्राहक छोटे कर्ज ज्यादा ले रहे हैं। इन कर्जों की अवधि तीन से चार महीने की होती है। ऐसे में आरबीआई ने उधारी में वृद्धि के बाद कर्जदाताओं से छोटे पर्सनल लोन पर सख्ती बरतने की सलाह दी है। केंद्रीय बैंक की चेतावनी के बाद जोखिम से बचने के लिए बैंक और वित्तीय संस्थान कड़े कदम उठा रहे हैं। इससे कर्ज वसूली की रफ्तार तेज हुई है।
बैंकिंग क्षेत्र में बुरे फंसे कर्ज यानी एनपीए एक दशक के निचले स्तर पर आ गया है। आरबीआई का अनुमान है कि मार्च, 2024 तक बैंकों का एनपीए 3.6 फीसदी रह सकता है।