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• Thu, 1 Apr 2021 5:46 pm IST


उत्तराखंड में वनाग्नि के लिए प्रकृति से अधिक लोग हैं दोषी



वनाग्नि या वन की आग उस दुर्घटना को कहते हैं जब किसी वन के एक भाग में या पूरे वन में ही आग लग जाती है और उस वन के सभी पेड़-पौधे, जीव-जन्तु इत्यादि जलने लगते हैं।  

1 अक्टूबर 2020 से लेकर 3 मार्च 2021 तक आग की करीब 431 घटनाएं दर्ज हुई हैं। इन घटनाओं में रिज़र्व फारेस्ट के 314.26 हेक्टेयर और सिविल संस्था/वन पंचायत के 194.73 हेक्टेयर जंगल नष्ट हुआ है। आग लगने का मुख्य कारण मुख्यतः प्राकृतिक नहीं बल्कि शरारती तत्वों की करामात है। 

साल 2019 की बात करें तो आग की 2158 घटनाएं सामने आयी हैं जबकि कोरोना से प्रभावित हुए साल 2020 में ये घटनाएं महज 135 दर्ज की गयीं . इस बात से ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ये घटनाएं प्राकृतिक नहीं बल्कि इंसान की देन है। 

अब मार्च के महीने की शुरुआत हो चुकी है।  और धीरे धीरे आग लगने की खबरें भी सामने आएँगी। इन घटनाओं को किस तरह से कण्ट्रोल किया जाएगा, इसकी क्या तैयारी चल रही है, यह जानने के लिए देवभूमि इनसाइडर की संवाददाता रश्मि पंवार ने मुख्य वन सरंक्षक मान सिंह से  बातचीत की।