“टिहरी में प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला ने अस्पताल पहुंचने से पहले तोड़ा दम” “बीमार लछिमा देवी मर गईं: दस की शाम को महिला को पड़ा था दौरा, हायर सेंटर ले जाते समय रास्ते में तोड़ा दम”
“धनोल्टी में दर्द से तड़पती रही गर्भवती,रात भर घने जंगल में चलना पड़ा पैदल,5 घंटे बाद पहुंची अस्पताल”...समाचार पत्रों में छपने वाली ये खबरों उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की कहानी बयां करती है। सवाल उठाती है क्या ये है उत्तराखंड का दशक ?