जिस तरह बैठकों के कल्चर पर फैसलों की रबर सीएम पुष्कर सिंह धामी चलाए रहे है उसे देख कर लगता है की सिस्टम पर नियंत्रण का प्रण मुख्यमंत्री ने कर लिया है। लेकिन सवाल है की रस्मों को बदलकर कसमों को पूरा करना कितना कामयाब रहेगा ? क्या बूंद बूंद से जैसे घड़ा भर सकता है वैसे ही राज्य करोड़ो का कर अदा कर सकता है ? रिपोर्ट को ध्यान से देखिएगा और बताइएगा की सीएम धामी के ये अनोखे फैसले प्रदेश को- कूल लगे या फ़िजूल लगे ?