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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 5 Aug 2021 12:30 pm IST

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पहाड़ के खाने का स्वाद पहाड़ी रसोई के साथ, देखिये स्पेशल स्टोरी



उत्तराखंड के एक तबका भले ही अपनी संस्कृति जैसे खान- पान, पहनावा, और भाषा को पिछे छोड़ रहा है, भले ही यंहा रह रहे लोग चाईनीज़ फूड को ज्यादा महत्व देने लगे हो। लिहाज़ा अपनी आने वाली पीढी को उत्तराखण्ड के पहचान बताने के लिए कुछ लोग इसपर काम भी कर रहे  । जी हा आज हम बात करेंगे शहस्त्रधारा स्थित पहाड़ी रसोई की जो कि जो कि आपको सही मायने में उत्तराखण्ड से रूबरू कराती नज़र आएगी । 

आपको बता दें शहस्त्रधारा रोड़ स्थित पहाड़ी रसोई आज कल चर्चा का विषय बनी हुई है. मसलन यह पहाड़ी रसोई आपको उत्तराखण्ड के हर उस पहचान से रूबरू करा रही है जो आमतौर पर देखने को नहीं मिलती है. सबसे पहले बात करते हैं यहाँ के ज़ायको की. बता दे कि यहाँ आपको विलुप्त हो चुके पहाड़ी व्यन्जन खाने को मिलेंगे जिसमे झंगोरे की खीर, मंडुवे के बिस्किट , अल्ली के लडडू और भांग की चटनी जैसे कई व्यन्जन शामिल है ।

खास बात यह है यहां पर बन रहे खाने के व्यन्जन में किसी भी प्रकार की मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता है. यहाँ बनने वाले मसालों को सिर्फ कुदरती तरीकों से जैसे सिलबट्टे पर पीस कर हीं तैयार किया जाता है । वहीं ये कहना गलत नहीं होगा कि यंहा बन भांग की चटनी का एक अलग ही स्वाद है , क्योकि ये सिलबट्टे पर पीसी जाती है । 

खाने के बाद बात करते है , यहां के पहनावे की , सबसे अनोखी बात यह है कि यहाँ पर महिलाएँ संस्कृति से जुड़े कपड़े और गहनों को पहनकर यंहा की रोनक बढ़ाती नजर आती है । 

 गौर करने वाली बात यह है कि इन कपड़ों को प्राचीन समय के मशीनों से बनाकर बेचती भी हैं. जिसमें पीछौड़ा, धोती, पजामा, सुराव, कोट, कमीज़, भोटू आदि शामिल हैं.

इतना हीं नहीं, यहाँ मनोरंजन का भी खास ध्यान रखा गया है. यहाँ आपको महिलाएँ पहाड़ी लोक गीत गाती और उसपर थिरकती नज़र आएंगी. आप खुलकर इस मनोरंजन का लुफ्त उठा सकते हैं.