जंगलों बीच पैदल चलना पड़ता 5 किलोमीटर ना कोई ढंग का रास्ता
ग्रामीणों को अभी भी नहीं मिला सुविधा पैदल चाडाई का रास्ता चलना पड़ता है पांच किलोमीटर सड़क से जगलो के बीच से ना कोई ढंग का रास्ता ग्रामीणों को उठानी पड़ती है बहुत सारा परेशानियां जैसे कोई प्रसव महिला हॉस्पिटल ले जाना या कोई अपातकालीन बीमार से भी ये परेशानी ग्रामीण वासियों को तब बहुत बड़ी दिक्कत मै डाल देती है जब कोई रात को एमरजेंसी है गया है तो जंगलों के रास्ता जंगली जानवरो का डर होता है ।
ग्रामीण वासियों ने सड़क की स्वीकृति जून 2016 मै ले लिया था जबकि अभी तक 5 सालो में आगे प्रशासन का कोई जवाब नहीं है ग्रामीण वासी अपने नजदीकी के विभागों में भी गए मगर वहां से भी कोई आश नहीं मिला जबकि जनवरी से लगातार 5 महीने से उत्तराखंड cm help line 1905 pe भी लगातार फोन किया जा रहा था सड़क के लिए वहां से भी ग्रामीण वासियों का भरोसा नी