मदन कौशिक को उनके सियासी सफर की सबसे बुरी ढलान एक ऐलान ने दिखा दी- केंद्र के एक हुक्मनामे ने उनके पांच बार के कारनामे को शून्य कर दिया । किसी भी एंगल से देख लीजिए पराजय से परचम का अस्त हो जाना एक तरफ और अजय नेते के ओहदों का किला धवस्त हो जाना एक तरफ ...आखिर कौशिक की कुशलता मे कमी रही तो रही कहां ?